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मातृका ध्यान : फलश्रुति
मातृका (वर्णमाला) का ध्यान ज्ञानात्मक विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। योग के ग्रंथों में इसके फल का निर्देश किया गया है। मातृका का ध्यान करने वाला श्रुत ( शास्त्रों ) पारगामी हो जाता है।
इस ध्यान से इन्द्रियातीत चेतना भी जाग्रत होती है। फलस्वरूप नष्ट, विस्मृत पदार्थों से संबद्ध भूत, वर्तमान और भविष्यकालीन ज्ञान करने की क्षमता पैदा होती है।
संस्मरन् मातृकामेवं स्यात् श्रुतज्ञानपारगः ।। ध्यायतोऽनादिसंसिद्धान्, वर्णानेतान् यथाविधि । नष्टादिविषये ज्ञानं ध्यातुरुत्पद्यते क्षणात् ॥ योगशास्त्र ८.४,५
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६ अगस्त
२००६
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