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लय
प्रवृत्ति के लिए प्रयत्न आवश्यक है। लय (तन्मयता) का मार्ग इससे भिन्न है। जब तक प्रयत्न का अंश रहता है, संकल्प और कल्पना भी रहते हैं, तब तक लय सिद्ध नहीं होता ।
परमात्म तत्त्व की अनुभूति के लिए आवश्यक है लय की साधना | उसके बिना परमात्म तत्त्व की प्राप्ति नहीं होती।
यावत् प्रयत्नलेशो, यावत् संकल्पकल्पना काऽपि । तावन्न लयस्यापि प्राप्तिस्तत्त्वस्य तु का कथा ? | योगशास्त्र १२.२०
२६ नवम्बर
२००६
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