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कला कल
- BAL RIGHT कलक
पौषधोपवास व्रत
अणुव्रतों को स्वीकार करने वाला गृहस्थ प्रतिवर्ष कम से कम एक पौषध करता है। दिन-रात उपवासपूर्वक समता की विशेष साधना करता है। वह पौषध व्रत की सुरक्षा के लिए निम्न-निर्दिष्ट अतिक्रमणों से बचता है
१. स्थान, वस्त्र, बिछौने आदि को बिना देखे या असावधानी से काम में लेना।
२. स्थान, वस्त्र, बिछौने आदि को रात्रि के समय बिना पूंजे या असावधानी से पूंजकर काम में लेना।
३. भूमि को दिन में बिना देखे या असावधानी से मल-मूत्र का विसर्जन करना।
४. भूमि को रात्रि में बिना प्रमार्जन किए या असावधानी से मल-मूत्र का विसर्जन करना।
५. पौषधोपवास व्रत का विधिपूर्वक पालन न करना।
२० अप्रैल २००६
प्र.....09-BFD
OG...-.-(१33
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