________________
सम्यक्त्व और चारित्र
सम्यक्त्व और आचरण में पौर्वापर्य भाव का संबंध है। पूर्व है सम्यक्त्व और उत्तर है चारित्र ।
सम्यक्त्व के बिना ज्ञान नहीं होता । सम्यक् ज्ञान के बिना सम्यक् चारित्र नहीं होता । सम्यक् चारित्र के बिना बंधन मुक्ति नहीं होती और बंधन मुक्ति के बिना मोक्ष नहीं होता ।
नत्थि चरितं सम्मत्तविहूणं, दंसणे उ भइयव्वं । सम्मत्तचरित्ताई, जुगवं पुव्वं व सम्मत्तं ॥ नादंसणिस्स नाणं, नाणेण विणा न हुंति चरणगुणा । अगुणिस्स नत्थि मोक्खो, नत्थि अमोक्खस्स निव्वाणं ।। उत्तरज्झयणाणि २८.२६,३०
DGDG
h
६ अप्रैल
२००६
११६