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प्रमोद भावना व्यक्ति का आदर करने वाले लोग बहुत मिलते हैं, गुणों का आदर करने वाले कम। गुण का आदर अथवा गुणी का आदर गुणी बनने की प्रेरणा देता है। इसलिए बहुत अपेक्षित है गुणों का समादर।
कुछ मनुष्य प्रकृति से ही गुणों का समादर करते हैं। कुछ मनुष्यों में गुणों का समादर करने की सहज वृत्ति नहीं होती। प्रमोद भावना के द्वारा गुणों का समादर करने की वृत्ति का विकास किया जा सकता है।
अपास्ताशेषदोषाणां, वस्तुतत्वावलोकिनाम्। गुणेषु पक्षपातो, यः स प्रमोदः प्रकीर्तितः ।।
योगशास्त्र ४.११६
१७ जून २००६