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वीतराग (१) भंते! कषाय (क्रोध, मान, माया और लोभ) के प्रत्याख्यान से जीव क्या प्राप्त करता है?
कषाय-प्रत्याख्यान से जीव वीतराग भाव को प्राप्त करता है। वीतराग भाव को प्राप्त हुआ जीव सुख-दुःख में सम हो जाता है।
कसायपञ्चक्खाणेणं भंते! जीवे किं जणयइ?
कसायपचक्खाणेणं वीयरागभाव जणयइ। वीयरागभावपडिवन्ने वि य णं जीवे समसुहदुक्खे भवइ ।।
उत्तरज्झयणाणि २६.३७
३० मई २००६