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ज्ञानयोग
जो परस्पर एक-दूसरे की आशंका से या दूसरे के देखते हुए पाप-कर्म नहीं करता, क्या उसका कारण ज्ञानी होना है ?
पाप कर्म नहीं करने की प्रेरणा अध्यात्मज्ञान है।
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अध्यात्मज्ञानी जैसे दूसरों के प्रत्यक्ष में पाप नहीं करता ।
जो व्यावहारिक बुद्धि वाला होता है, वह दूसरों के प्रत्यक्ष में पाप नहीं करता, किंतु परोक्ष में पाप करता है।
शिष्य ने पूछा- गुरुदेव ! जो व्यक्ति दूसरों के भय, आशंका या लज्जा से प्रेरित हो पाप नहीं करता, क्या यह आध्यात्मिक त्याग है ?
गुरु ने कहा- यह आध्यात्मिक त्याग नहीं है। जिसके अंतःकरण में पाप कर्म छोड़ने की प्रेरणा नहीं है, वह निश्चय नय में ज्ञानी नहीं है। जो दूसरों के भय से पाप कर्म नहीं करता, वह व्यवहार नय में ज्ञानी है।
जमिणं अण्णमण्णावितिगिच्छाए पडिलेहाए ण करेइ पावं कम्मं किं तत्थ मुणी कारणं सिया ?
Jamar & Fra
२२ मार्च
२००६
००१०१
आयारो ३.५४
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