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ध्यान के अधिकारी
ध्यान के अधिकारी दो प्रकार के होते हैं
१. अपरिणतयोग वाला - मानसिक, वाचिक और शारीरिक साधना की दृष्टि से अपरिपक्व ।
२. परिणतयोग वाला - मानसिक, वाचिक और शारीरिक साधना की दृष्टि से परिपक्व ।
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विजन स्थान का निर्देश अपरिणतयोग वाले मुनि के लिए है। परिणतयोग वाला मुनि, जिसका मन सुनिश्चल है, के लिए ग्राम अथवा शून्य, विजन अथवा जनाकीर्ण स्थान का कोई अन्तर नहीं होता है ।
थिरकयजोगाणं पुण मुणीण झाणे सुनिच्चलमणाणं । गामंमि जणाइण्णे सुण्णे रणे व ण विसेसो ॥ झाणज्झयणं ३६
२६ जून २००६
२०३२