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प्राणायाम (४) आचार्य हेमचन्द्र ने प्राणायाम के सात भेदों का उल्लेख किया है। उनमें पूरक, रेचक और कुंभक-ये तीन भेद हठयोग में प्रसिद्ध हैं। महर्षि पतंजलि ने प्राणायाम के दो भेदों का उल्लेख किया है
१. प्राण का प्रच्छर्दन (रेचन) २. प्राण का विधारण (प्राण को बाहर रोकना) . इसमें पूरक और अन्तःकुम्भक का उल्लेख नहीं है।
जैन योग में पूरक का उल्लेख संभवतः हठयोग का प्रभाव है।
प्रत्याहार, शान्त, उत्तर और अधर-प्राणायाम के इन चार प्रकारों का मूल स्रोत अन्वेषणीय है। प्रच्छईनविधारणाभ्यां वा प्राणस्य ।
पातञ्जलयोगदर्शनम् १.३४ प्रत्याहारस्तथा शान्तः, उत्तरश्चाधरस्तथा। एभिर्भेदैश्चतुर्भिस्तु, सप्तधा कीर्त्यते परैः।।
योगशास्त्र ५.५
६ मई २००६