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[५] स्वपरिणाम - परपरिणाम
स्वपरिणति अर्थात्...
'ज्ञानी' के पास से समझ लेने... ४२ जब तक अज्ञान, तब तक... ४३ ज्ञानी को, निरंतर स्वपरिणति बर्ते ४३ पुरुषार्थ, स्वपरिणति में बर्तने का ४४ वह भेदविज्ञान तो ज्ञानी ही प्राप्त करवाते हैं
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४२ ज्ञान, परमविनय से प्राप्त
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दोनों परिणाम, स्वभाव से ही... ४८ व्यवहार, कितना अधिक पराश्रित ४९ 'अक्रम' का, कैसा साइन्टिफिक.. ४९ पुद्गल पारिणामिक भाव से .... ५० चेतन का पारिणामिक भाव, ज्ञाता.. ५१ राग-द्वेष, वे भी पारिणामिक भाव ५१ व्यवहार, उपधातु परिणाम ५२ पुद्गल - आत्मा, स्वभाव परिणामी ५३ [ ६ ] आत्मा, तत्वस्वरूपी
५४ आत्माः परम ज्योतिस्वरूप
५७ आत्माः स्व-पर प्रकाशक
निजपरिणति कब कहलाए ... किस प्रकार से स्वपरिणति... ४६
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आत्माः कल्पस्वरूप आत्माः ऊर्ध्वगामी स्वभाव सिद्धात्मा की स्थिति आत्मगुणः ज्ञान और दर्शन
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आत्माः गुणधर्म से अभेद स्वरूपी ६१ परिणमित अवस्था में आत्मा शुद्ध ६२ आत्माः द्रव्य और पर्याय आत्माः ज्ञान क्रिया द्रव्य, गुण, पर्याय से शुद्धत्व आत्माः परमानंद स्वरूपी आत्माः अनंत शक्ति
६४ आत्माः चैतन्यघन स्वरूप
आत्माः अगुरु-लघु स्वभाव आत्माः अरूपी आत्माः टंकोत्कीर्ण स्वभाव
आत्माः अव्याबाध स्वरूप आत्माः अव्यय आत्माः निरंजन, निराकार आत्माः अमूर्त
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आवरण के आधार पर भिन्नता अज्ञान से मुक्ति, वही मोक्ष आत्मा का द्रव्य, क्षेत्र
आत्माः सूक्ष्मतम ज्योतिर्लिंग
आत्माः प्रकाश स्वरूप
आत्माः सर्वव्यापक आत्माः एक स्वभावी आत्माः स्वभाव का कर्ता
६४ आत्माः अनंत प्रदेश
६७ आत्माः वेदक ? निर्वेदक ?
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आत्माः शुद्ध उपयोग ७३ उपयोग में उपयोग, वही... ७५ आत्माः केवलज्ञान स्वरूप ७५ आत्माः असंग ७७ आत्माः निर्लेप
७८ मन-वचन-काया की आदतें .. ७८ संयोगः पर और पराधीन
७९ प्राकृत गुण: आत्म गुण [७] आत्मा के बारे में प्रश्नानली १०६ आत्मा ही परमात्मा १०७ निद्रा में चेतन की स्थिति १०८ आत्मा-अनात्मा का भेदांकन
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