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आप्तवाणी-३
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प्रश्नकर्ता : तो उस समय तोड़नेवाला कौन हो सकता है?
दादाश्री : हम जब 'ज्ञान' देते हैं उस समय वे सारे खुलासे कर देते हैं। यह तोड़नेवाला कौन, चलानेवाला कौन, वह सब 'सॉल्व' कर देते हैं। अब वहाँ वास्तव में क्या करना चाहिए? भाँति में भी क्या अवलंबन लेना चाहिए? नौकर तो 'सिन्सियर' है, वह तोड़े ऐसा नहीं है।
प्रश्नकर्ता : चाहे कितना भी 'सिन्सियर' हो, लेकिन नौकर के हाथों टूट गया तो परोक्ष रूप से वह ज़िम्मेदार नहीं है?
दादाश्री : ज़िम्मेदार है ! लेकिन वह कितना ज़िम्मेदार है, वह समझ लेना चाहिए। सबसे पहले उसे पूछना चाहिए कि 'तू जला तो नहीं न?' जल गया हो तो दवाई लगाना। फिर धीरे से कहना चाहिए कि अब तेज़ी से मत चलना आगे से।
___सत्ता का दुरुपयोग, तो... यह तो सत्तावाला अपने से नीचेवालों को कुचलता रहता है। जो सत्ता का दुरुपयोग करता है, वह सत्ता चली जाती है और ऊपर से मनुष्य जन्म नहीं आता। एक घंटा ही यदि अपनी सत्ता में आए हुए व्यक्ति को धमकाया जाए तो सारी जिंदगी का आयुष्य बंध जाता है। विरोध करनेवाले को धमकाएँ तो बात अलग है।
प्रश्नकर्ता : सामनेवाला टेढ़ा हो तो उसके साथ वैसा ही नहीं होना चाहिए?
दादाश्री : सामनेवाले व्यक्ति का हमें नहीं देखना चाहिए, वह उसकी ज़िम्मेदारी है, यदि लुटेरे सामने आ जाएँ और आप लुटेरे बनो तो ठीक है, लेकिन वहाँ तो सबकुछ दे देते हो न? निर्बल के आगे सबल बनो उसमें क्या है? सबल होकर निर्बल के आगे निर्बल हो जाओ तो सही।
ये ऑफिसर घर पर पत्नी के साथ लड़कर आते हैं और ऑफिस में असिस्टेन्ट का तेल निकाल देते हैं। अरे, असिस्टेन्ट तो गलत हस्ताक्षर