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आप्तवाणी-३
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'सिन्सियारिटी' और 'मॉरेलिटी' - इस काल में ये दो वस्तुएँ हों तो बहुत हो गया। अरे! एक हो फिर भी वह ठेठ मोक्ष तक ले जाएगा। परंतु उसे पकड़ लेना चाहिए। और जब-जब अड़चन पड़े, तब-तब 'ज्ञानीपुरुष' के पास आकर खुलासा कर जाना चाहिए कि यह 'मॉरेलिटी' है या यह 'मॉरेलिटी' नहीं है।
'ज्ञानीपुरुष का राजीपा (गुरुजनों की कृपा और प्रसन्नता)' और खुद की 'सिन्सियारिटी' इन दोनों के गुणा से सारे कार्य सफल हो सकें, ऐसा
'इनसिन्सियारिटी' से भी मोक्ष कोई बीस प्रतिशत 'सिन्सियारिटी' और अस्सी प्रतिशत 'इनसिन्सियारिटी'वाला मेरे पास आए और पूछे कि 'मुझे मोक्ष में जाना है
और मुझमें तो यह माल है तो क्या करना चाहिए?' तब मैं उसे कहूँगा कि, 'सौ प्रतिशत 'इनसिन्सियर' हो जा, फिर मैं तुझे दूसरा रास्ता दिखाऊँगा कि जो तुझे मोक्ष में ले जाएगा।' यह अस्सी प्रतिशत का कर्ज है, इसकी कब भरपाई करेगा? इससे तो एक बार दिवाला निकाल दे। 'ज्ञानीपुरुष' का एक ही वाक्य पकड़े तब भी वह मोक्ष में जाए। पूरे 'वर्ल्ड' के साथ 'इनसिन्सियर' रहा होगा उसका मुझे एतराज नहीं है, लेकिन एक यहाँ 'सिन्सियर' रहा तो वह तुझे मोक्ष में ले जाएगा! सौ प्रतिशत 'इनसिन्सियारिटी', वह भी एक बड़ा गुण है, वह मोक्ष में ले जाएगा, क्योंकि भगवान का संपूर्ण विरोधी हो गया। भगवान के संपूर्ण विरोधी को मोक्ष में ले जाए बिना छुटकारा ही नहीं! या तो भगवान का भक्त मोक्ष में जाता है या तो भगवान का संपूर्ण विरोधी मोक्ष में जाता है ! इसीलिए मैं नादार को तो दिखाता हूँ कि सौ प्रतिशत ‘इनसिन्सियर' हो जा, फिर मैं तुझे दूसरा दिखाऊँगा, जो तुझे ठेठ मोक्ष तक ले जाएगा। दूसरा पकड़ाऊँगा तभी काम होगा।