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[१०] जगसंचालक की हकीकत
जिसे भगवान मानते हैं..... कोई बाप भी आपका ऊपरी नहीं है। कोई ऊपरी ही नहीं है, कोई बोस नहीं। बगैर बात के डरता रहता है। अरे, भगवान भी तेरा ऊपरी नहीं है। तू खुद ही भगवान है, लेकिन उसका भान होना चाहिए। और जब तक ऐसा भान नहीं होता कि खुद भगवान है, तब तक भगवान को ऊपरी मानना चाहिए, तब तक भक्त रहना चाहिए और भान होने के बाद में भक्तपन छूट गया!
कोई बाप भी तेरा ऊपरी नहीं है, उसकी यह गारन्टी मैं देता हूँ। यह तो बगैर बात के डर घुस गया है कि 'ऐसा कर देंगे, वैसा कर देंगे।' इसलिए तेरे डरने का कोई कारण नहीं है, और तेरा 'व्यवस्थित' होगा तो तुझे कोई छोड़ेगा नहीं। यह 'इन्कमटैक्सवाले' की चिठ्ठी आई कि सेठ डर जाता है। अरे, यह काग़ज़ तो तेरे 'व्यवस्थित' का एक एविडेन्स है। 'इन्कमटैक्सवाला' कोई सर्वेसर्वा नहीं है, इसलिए भगवान को ऊपरी बनाने की पीड़ा रहने दे न! इन भगवान को ऊपरी बनाने के बजाय तुम्हारी 'वाइफ' को ऊपरी बनाओ तो वह पकौड़े तो बनाकर देगी! अरे, तू खुद ही भगवान है। लेकिन यह जानता नहीं है। जब तक यह जान लेता नहीं, तब तक भगवान को ऊपरी की तरह रखता है लेकिन कौन-से भगवान? यदि तुझे भगवान को ही ऊपरी रखना हो तो कौन-से भगवान को रखेगा? ऊपरवाले को नहीं। ऊपर तो कोई बाप भी नहीं है, ऊपर तो सिर्फ आकाश है। भगवान तो जो अंदर बैठे हैं, वे हैं। वास्तविक 'थ्योरी' तो, जो अंदर बैठे हैं, वे ही भगवान हैं। उन्हीं का नाम 'शुद्धात्मा'। उन्हें कोई भी नाम