Book Title: Aptavani Shreni 03
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 269
________________ आप्तवाणी-३ ताकि लोगों का उँगली उठाना टल जाए न! और किस आधार पर दूल्हा मिलता है वह मैंने उसे समझाया। वह लड़की समझ गई, और मेरे कहे अनुसार शादी कर ली। फिर पति ज़रा देखने में अच्छा नहीं लगा, परंतु उसने कहा कि मुझे दादाजी ने कहा है इसलिए शादी करनी ही है। उस लड़की को शादी करने से पहले ज्ञान दिया, और फिर तो उसने मेरे एक भी शब्द का उल्लंघन नहीं किया और वह लड़की एकदम सुखी हो गई। लड़के लड़की को पसंद करने से पहले बहुत मीनमेख निकालते हैं। बहुत ऊँची है, बहुत नीची है, बहुत मोटी है, बहुत पतली है, ज़रा काली है। घनचक्कर, यह क्या भैंस है? लड़कों को समझाओ कि शादी करने का तरीका क्या होता है! तुझे जाकर लड़की को देख आना और आँख से आकर्षण हो वहाँ आपकी शादी निश्चित है और आकर्षण न हो तो आप बंद रखना। 'जगत्' बैर वसूलता ही है यह तो 'ऐसे फिर, वैसे फिर' करता है! एक लड़का ऐसे बोल रहा था, उसे मैंने तो बहुत डाँटा। मैंने कहा, 'तेरी मदर भी बहू बनी थी। तू किस तरह का आदमी है?' स्त्रियों का इतना अधिक घोर अपमान! आज लड़कियाँ बढ़ गई हैं, इसलिए स्त्रियों का अपमान होता है। पहले तो इन बेवकूफों का घोर अपमान होता था। उसका ये बदला ले रहे हैं। पहले तो पाँच सौ बेवकूफ-राजा लाइन में खड़े रहते थे और एक राजकुमारी वरमाला पहनाने निकलती थी, और वे बेवकूफ गरदन आगे रखकर खड़े रहते थे! राजकुमारी आगे खिसक जाती तब उसे काटो तो खून भी न निकले! कितना घोर अपमान! अरे, छोड़ो यह शादी करना! उससे तो शादी नहीं की हो, वह अच्छा! और आजकल तो लड़कियाँ भी कहने लगी हैं कि ज़रा ऐसे घूमो तो? आप ज़रा कैसे दिखते हो? देखो, आपने इस तरह देखने का सिस्टम निकाला तो यह हाल हो गया है आपका? इससे तो सिस्टम ही नहीं बनाते तो क्या बुरा था? यह आपने लफड़ा डाला तो आपका वह लफड़ा बढ़ा। इस काल में ही, पिछले पाँचेक हजार वर्षों से ही पुरुष कन्या लेने

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