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[२] योग-उपयोग परोपकाराय
जीवन में, महत् कार्य ही ये दो! मनुष्य का जन्म किसलिए है? खुद का यह बंधन, हमेशा का बंधन टूटे इस हेतु के लिए है, 'एब्सोल्यूट' होने के लिए है और यदि यह 'एब्सोल्यूट' होने का ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाए, तो तू दूसरों के लिए जीना। ये दो ही कार्य करने के लिए हिन्दुस्तान में जन्म है। ये दो कार्य लोग करते होंगे? लोगों ने तो मिलावट करके मनुष्य में से जानवर में जाने की कला खोज निकाली है।
परोपकार से पुण्य साथ में जब तक मोक्ष नहीं मिले, तब तक सिर्फ पुण्य ही मित्र समान काम करता है और पाप-दुश्मन के समान काम करता है। अब आपको दुश्मन रखना है या मित्र रखना है? वह आपको जो अच्छा लगे, उसके अनुसार निश्चित करना है। और मित्र का संयोग कैसे हो, वह पूछ लेना और दुश्मन का संयोग कैसे जाए, वह भी पूछ लेना। यदि दुश्मन पसंद हो उसका संयोग कैसे हो वह पूछे, तो हम उसे कहेंगे कि जितना चाहे उतना उधार करके घी पीना, चाहे जहाँ भटकना, और जैसे तुझे ठीक लगे वैसे मज़े करना, फिर आगे जो होगा देखा जाएगा! और पुण्यरूपी मित्र चाहिए तो हम बता दें कि भाई इस पेड़ के पास से सीख ले। कोई वृक्ष क्या अपना फल खुद
खा जाता है? कोई गुलाब अपना फूल खा जाता होगा? थोडा-सा तो खाता होगा, नहीं? जब हम नहीं हों, तब रात को खा जाता होगा, नहीं? नहीं खाता?
प्रश्नकर्ता : नहीं खाता।