Book Title: Aptavani Shreni 03
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 315
________________ [७] ऊपरी का व्यवहार अन्डरहैन्ड की तो रक्षा करनी चाहिए प्रश्नकर्ता : दादा, सेठ मुझसे बहुत काम लेते हैं और तनख्वाह बहुत कम देते हैं और ऊपर से धमकाते हैं। दादाश्री : ये हिन्दुस्तान के सेठ, ये तो पत्नी को भी धोखा देते हैं। परंतु अंत में अर्थी निकलती है, तब तो वे ही धोखा खाते हैं। हिन्दुस्तान के सेठ नौकर का तेल निकालते रहते हैं, चैन से खाने भी नहीं देते, नौकर की तनख्वाह काट लेते हैं। पहले इन्कम टैक्सवाले काट लेते तब वहाँ वे सीधे हो जाते थे, लेकिन आज तो इन्कम टैक्सवाले का भी ये लोग काट लेते हैं! जगत् तो प्यादों को, अन्डरहैन्ड को धमकाए ऐसा है। अरे, साहब को धमका न, वहाँ आप जीत जाओ तो काम का! जगत् का ऐसा व्यवहार है। जब कि भगवान ने एक ही व्यवहार कहा था कि तेरे 'अंडर' में जो आया उसका तू रक्षण करना। जिन्होंने अंडरहैन्ड का रक्षण किया, वे भगवान बने हैं। मैं छोटा था तब से ही अन्डरहैन्ड का रक्षण करता था। अभी यहाँ कोई नौकर चाय की ट्रे लेकर आए और वह गिर जाए तब सेठ उसे धमकाते हैं कि 'तेरे हाथ टूटे हुए हैं? दिखता नहीं है?' अब वह तो नौकर रहा बेचारा। वास्तव में नौकर कभी कुछ तोड़ता नहीं है, वह तो 'रोंग बिलीफ़' से ऐसा लगता है कि नौकर ने तोड़ा। वास्तव में तोड़नेवाला दूसरा ही है। अब वहाँ निर्दोष को दोषी ठहराते हैं, नौकर फिर उसका फल देता है, किसी भी जन्म में।

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