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[५] समझ से सोहे गृहसंसार
मतभेद में समाधान किस प्रकार? काल विचित्र आ रहा है। आँधियों पर आँधियाँ आनेवाली हैं! इसलिए सावधान रहना। ये जैसे पवन की आँधियाँ आती हैं न वैसे कुदरत की आँधी आ रही है। मनुष्यों के सिर पर भारी मुश्किलें हैं। शकरकंद भट्ठी में भुनता है, वैसे लोग भुन रहे हैं। किसके आधार पर जी रहे हैं, उसकी खुद को भी समझ नहीं है। अपने आपमें से श्रद्धा भी चली गई है! अब क्या हो? घर में वाइफ के साथ मतभेद हो जाए तो उसका समाधान करना नहीं आता, बच्चों के साथ मतभेद खड़ा हो जाए तो उसका समाधान करना आता नहीं और उलझन में रहता है।
प्रश्नकर्ता : पति तो ऐसा ही कहता है न कि वाइफ समाधान करे, मैं नहीं करूँगा।
दादाश्री : हं... यानी कि लिमिट पूरी हो गई। वाइफ समाधान करे और समाधान न करो तो आपकी लिमिट हो गई पूरी। खरा पुरुष हो न तो वह ऐसा बोले कि वाइफ खुश हो जाए और ऐसे करके गाड़ी आगे बढ़ाए। और आप तो पंद्रह-पंद्रह दिनों तक, महीनों तक गाड़ी खड़ी रखते हो, ऐसा नहीं चलेगा। जब तक सामनेवाले का मन का समाधान नहीं होगा तब तक आपको मुश्किल है। इसीलिए समाधान करना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : सामनेवाले का समाधान हो गया, ऐसा किस तरह कहा जाएगा? सामनेवाले का समाधान हो जाए, लेकिन उसमें उसका अहित हो तो?
दादाश्री : वह आपको देखना नहीं है। यदि सामनेवाले का अहित