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आप्तवाणी-३
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की बात क्या गीता में लिखी होती है? वह तो खुद ही समझनी पड़ेगी
हसबैन्ड मतलब वाइफ की भी वाइफ (पति यानी पत्नी की पत्नी) यह तो लोग पति ही बन बैठे हैं! अरे, वाइफ क्या पति बन बैठनेवाली है? हसबैन्ड यानी वाइफ की वाइफ। अपने घर में ज़ोर से आवाज़ नहीं होनी चाहिए। यह क्या लाउड स्पीकर है? यह तो यहाँ चिल्लाता है तो गली के नुक्कड़ तक सुनाई देता है। घर में गेस्ट की तरह रहो। हम भी घर में गेस्ट की तरह रहते हैं। कुदरत के गेस्ट की तरह यदि आपको सुख न आए तो ससुराल में क्या सुख आनेवाला है?
___'मार' का फिर बदला लेती है प्रश्नकर्ता : दादा, मेरा मिजाज़ हट जाता है, तब कितनी ही बार मेरा हाथ पत्नी पर उठ जाता है।
दादाश्री : स्त्री को कभी भी मारना नहीं चाहिए। जब तक आपका शरीर मज़बूत होगा, तब तक चुप रहेगी, फिर वह आप पर चढ़ बैठेगी। स्त्री को और मन को मारना वह तो संसार में भटकने के दो साधन है। इन दोनों को मारना नहीं चाहिए। उनके पास से तो समझाकर काम लेना पड़ता है।
हमारा एक मित्र था। उसे मैं जब देखू तब पत्नी को एक तमाचा लगा देता था, उसकी ज़रा-सी भूल दिखे तो मार देता था। फिर मैं उसे अकेले में समझाता कि ये तमाचा तुने उसे मारा लेकिन उसकी वह नोंध रखेगी। तू नोंध नहीं रखता लेकिन वह तो नोंध रखेगी ही। अरे, यह तेरे छोटे-छोटे बच्चे, तू तमाचा मारता है तब तुझे टुकुर-टुकुर देखते रहते हैं, वे भी नोंध रखेंगे। और वे वापस, माँ और बच्चे इकट्ठे मिलकर इसका बदला लेंगे। वे कब बदला लेंगे? तेरा शरीर ढीला पड़ेगा तब। इसलिए स्त्री को मारने जैसा नहीं है। मारने से तो उल्टे तुम्हें ही नुकसानदायक, अंतरायरूप हो जाते हैं।
आश्रित किसे कहा जाता है? खूटे से बंधी गाय होती है, उसे मारोगे तो वह कहाँ जाएगी? घर के लोग खूटे से बाँधे हुए जैसे हैं, उन्हें मारोगे