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आप्तवाणी-३
परंतु यहाँ आपकी गुत्थियों के सभी खुलासे कर जाओ। यहाँ तो हरएक प्रकार के खुलासे होते हैं। ये व्यवहारिक खुलासे होते हैं तो भी वकील पैसे लेते हैं ! लेकिन यह तो अमूल्य खुलासा, उसका मूल्य ही नहीं है न। यह सब उलझा हुआ है! और वह आपको अकेले को ही है, ऐसा नहीं है, पूरे जगत् को है। 'द वर्ल्ड इज द पज़ल इटसेल्फ।' यह 'वर्ल्ड' इटसेल्फ पज़ल हो गया है।
धर्म वस्तु तो बाद में करना है, परंतु पहले जीवन जीने की कला जानो और शादी करने से पहले बाप होने का योग्यतापत्र प्राप्त करो। एक इंजन लाकर उसमें पेट्रोल डालें और उसे चलाते रहें, लेकिन वह मीनिंगलेस जीवन किस काम का? जीवन तो हेतु सहित होना चाहिए। यह तो इंजन चलता रहता है, चलता ही रहता है, वह निरर्थक नहीं होना चाहिए। उससे पट्टा जोड़ दें, तब फिर भी कुछ पीसा जाएगा। लेकिन यह तो सारी जिंदगी पूरी हो जाए, फिर भी कुछ भी पीसा नहीं जाता और ऊपर से अगले भव के गुनाह खड़े करता है।
यह तो लाइफ पूरी फ्रेक्चर हो गई है। किसलिए जी रहे हैं, उसका भान भी नहीं रहा कि यह मनुष्यसार निकालने के लिए मैं जी रहा हूँ! मनुष्यसार क्या है? तब कहे, जिस गति में जाना हो, वह गति मिले या फिर मोक्ष में जाना हो तो मोक्ष में जाया जा सके। ऐसे मनुष्यसार का किसीको भान ही नहीं है, इसलिए भटकते रहते हैं।
परंतु वह कला कौन सिखलाए?! आज जगत् को हिताहित का भान ही नहीं है, संसार के हिताहित का कुछ लोगों को भान होता है, क्योंकि वह बुद्धि के आधार पर कितनों ने निश्चित किया होता है। लेकिन वह संसारी भान कहलाता है कि संसार में किस तरह मैं सुखी होऊँ? असल में तो यह भी करेक्ट नहीं है। करेक्टनेस तो कब कहलाती है कि जीवन जीने की कला सीखा हो तब। यह वकील हुआ, फिर भी कोई जीवन जीने की कला आई नहीं। तब डॉक्टर बना फिर भी वह कला नहीं आई। यह आप आर्टिस्ट की कला सीख लाए या दूसरी कोई भी कला सीख लाए, वह कोई जीवन जीने