Book Title: Aptavani Shreni 03
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 299
________________ २५० आप्तवाणी-३ कहते हैं कि सुनते रहने का मन हो, डाँटें तब भी वह सुनना अच्छा लगे। ये तो ज़रा बोले, उससे पहले ही बच्चे कहते हैं कि 'चाचा अब किचकिच करनी रहने दो। बिना काम के दख़ल कर रहे हो।' डाँटा हुआ कब काम का? पूर्वग्रह नहीं हो तो। पूर्वग्रह मतलब मन में याद होता ही है कि कल इसने ऐसा किया था और ऐसे झगड़ा था, इसलिए यह ऐसा ही है। घर में झगड़े उसे भगवान ने मूर्ख कहा है। किसीको दुःख दें, तो भी नर्क जाने की निशानी है। संसार निभाने के संस्कार-कहाँ? मनुष्य के अलावा दूसरा कोई पतिपना नहीं करता। अरे, आजकल तो डायवर्स लेते हैं न? वकील से कहते हैं कि, 'तुझे हज़ार, दो हज़ार रुपये दूंगा, मुझे डायवॉर्स दिलवा दे।' तब वकील कहेगा कि 'हाँ, दिलवाा दूंगा।' अरे! तू ले ले न डायवॉर्स, दूसरों को क्या दिलवाने निकला है? पहले के समय की एक बुढ़िया की बात है। वे चाचाजी की तेरहवीं कर रही थीं। 'तेरे चाचा को यह भाता था, वह भाता था।' ऐसा कर-करके चारपाई पर वस्तुएँ रखती जाती थी। तब मैंने कहा, 'चाची! आप तो चाचा के साथ रोज़ लड़ती थीं। चाचा भी आपको बहुत बार मारते थे। तब यह क्या?' तब चाची ने कहा, 'लेकिन तेरे चाचा जैसे पति मुझे फिर नहीं मिलेंगे।' ये अपने हिन्दुस्तान के संस्कार! पति कौन कहलाता है? संसार को निभाए उसे। पत्नी कौन कहलाती है? संसार को निभाए उसे। संसार को तोड़ डाले उसे पत्नी या पति कैसे कहा जाए? उसने तो अपने गुणधर्म ही खो दिए, ऐसा कहलाएगा न? वाइफ पर गुस्सा आए तो यह मटकी थोड़े ही फेंक दोगे? कुछ तो कप-रकाबी फेंक देते हैं और फिर नये ले आते हैं! अरे, नये लाने थे तो फोडे किसलिए? क्रोध में अंध बन जाता है और हिताहित का भान भी खो देता है। ये लोग तो पति बन बैठे हैं। पति तो ऐसा होना चाहिए कि पत्नी सारा दिन पति का मुँह देखती रहे। प्रश्नकर्ता : शादी से पहले बहुत देखते हैं।

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