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आप्तवाणी-३
कि आज पोस्ट ऑफिस बंद है, कल बात करेंगे। हमारा तो पोस्ट ऑफिस हमेशा बंद ही होता है।
ये दिपावली के दिन सब किसलिए समझदार हो जाते हैं? उनकी 'बिलीफ़' बदल जाती है, इसलिए। आज दिवाली का दिन है, आनंद में जाने देना है ऐसा निश्चित करते हैं, इसलिए उनकी बिलीफ़ बदल जाती है, इसलिए आनंद में रहते हैं। हम' मालिक हैं, इसलिए गोठवणी (सेटिंग) कर सकते हैं। तूने निश्चित किया हो कि आज मुझे हल्कापन नहीं करना है। तो तुझसे हल्कापन नहीं होगा। इस हफ्ते में एक दिन हमें नियम में रहना है, एक दिन पोस्ट ऑफिस बंद करके बैठना है। फिर चाहे लोग चिल्लाएँ कि आज पोस्ट ऑफिस बंद है?
बैर खपे
और आनंद भी रहे
इस जगत् में किसी भी जीव को किंचित् मात्र दुःख नहीं देने की भावना हो, तभी कमाई कहलाती है। ऐसी भावना रोज़ सुबह करनी चाहिए। कोई गाली दे, वह आपको पसंद नहीं हो तो भी उसे जमा ही करना चाहिए, पता नहीं लगाना है कि 'मैंने उसे कब दी थी।' आपको तो तुरंत ही जमा कर लेनी चाहिए कि हिसाब पूरा हो गया। और यदि चार वापस दे दी तो बहीखाता चलता ही रहेगा, उसे ऋणानुबंध कहते हैं। बही बंद की यानी खाता बंद। ये लोग तो क्या करते हैं कि उसने एक गाली दी हो तो यह ऊपर से चार देता है! भगवान ने क्या कहा है कि जो रकम तुझे अच्छी लगती हो, वह उधार दे और अच्छी नहीं लगती हो, तो उधार मत देना। कोई व्यक्ति कहे कि आप बहुत अच्छे हो तो कहना कि, 'भाई आप भी बहुत अच्छे हो।' ऐसी अच्छी लगनेवाली बातें उधार दो तो चलेगा।
__यह संसार, पूरा हिसाब चुकाने का कारखाना है। बैर तो सास बनकर, बहू बनकर, बेटा बनकर, अंत में बैल बनकर भी चुकाना पड़ता है। बैल लेने के बाद, रुपये बारह सौ चुकाने के बाद, फिर दूसरे दिन वह मर जाता है! ऐसा है यह जगत् !! अनंत जन्म बैर में ही गए हैं! यह जगत् बैर से खड़ा है! ये हिन्दू तो घर में बैर बाँधते हैं और इन मुस्लिमों को तो देखो वे घर में बैर नहीं बाँधते हैं, बाहर झगड़ा कर आते हैं। वे जानते हैं कि