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आप्तवाणी-३
सामने हो जाए तो उसका प्रभाव ही नहीं रहता । आपका घर अच्छी तरह चलता हो, बच्चे पढ़ रहे हों अच्छी तरह, कोई झंझट नहीं हो, और आपको उसमें उल्टा दिखा और बिना काम के आमने-सामने हो गए, तो फिर अक्ल का नाप स्त्री समझ जाती है कि 'इसमें बरकत नहीं है । '
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यदि आपका प्रभाव नहीं हो तो घोड़ी को सहलाने पर भी उसका प्रेम आपको मिलेगा। पहले प्रभाव पड़ना चाहिए । वाइफ की कुछ भूलें आप सहन करो तो उस पर प्रभाव पड़ता है । यह तो बिना भूल के भूल निकाले तो क्या होगा? कुछ पुरुष स्त्री के संबंध में शोर मचाते हैं, वे सब गलत शोर होता है। कुछ साहब ऐसे होते हैं कि ऑफिस में कर्मचारियों के साथ दख़ल करते रहते हैं । सब कर्मचारी भी समझते हैं कि साहब में बरकत नहीं है, लेकिन करें क्या? पुण्य ने उसे बॉस की तरह बैठाया है वहाँ। घर पर तो बीवी के साथ पंद्रह-पंद्रह दिन से केस पेन्डिंग पड़ा होता है। साहब से पूछें, 'क्यों?' तो कहें कि उसमें अक्ल नहीं है। और वह अक्ल का बोरा ! बेचें तो चार आने भी नहीं आएँ । साहब की वाइफ से पूछें तो वे कहेंगी कि जाने दो न उनकी बात । कोई बरकत ही नहीं है उनमें।
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स्त्रियाँ, मानभंग हो उसे सारी जिंदगी भूलती नहीं हैं। ठेठ अर्थी में जाने तक वह रीस साबुत होती है । वह रीस यदि भुलाई जाती हो तो जगत् सारा कब का ही पूरा हो गया होता। नहीं भुलाया जाए ऐसा है, इसलिए सावधान रहना। सारा सावधानी से काम करने जैसा है ।
स्त्रीचरित्र कहलाता है न? वह समझ में आ सके ऐसा नहीं है। फिर स्त्रियाँ देवियाँ भी हैं ! इसलिए ऐसा है कि उन्हें देवियों की तरह देखोगे तो आप देवता बनोगे। बाकी आप तो मुर्गे जैसे रहोगे, हाथी और मुर्गे जैसे ! हाथीभाई आए और मुर्गाभाई आए ! यह तो लोगों को राम होना नहीं है और घर में सीताजी को खोजते हैं । पगले, राम तो तुझे नौकरी पर भी नहीं रखें। इसमें इनका भी दोष नहीं है । आपको स्त्रियों के साथ डीलिंग करना नहीं आता है । आपको व्यापारियों को ग्राहकों के साथ डीलिंग करना नहीं आएगा तो वह आपके पास नहीं आएँगे । इसलिए अपने लोग नहीं कहते कि सेल्समेन अच्छा रखो ? अच्छा, दर्शनीय, होशियार सेल्समेन हो
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