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अब पत्नियों से कोई दुनिया में चीज छिपा तो सकता ही नहीं। ऐसी दबी आंख पत्नी देखती रही कि कुछ लाया है छिपा कर। कुछ छिपा रहा है-रुपये-पैसे हैं या क्या मामला है कि कोई हीरा-जवाहरात लग गया! जब सब सो गये दोपहर में तो वह ऊपर गयी। खोज-खाज कर उसने दर्पण निकाला। देखा। 'अरे', उसने कहा, 'तो इस रांड के पीछे पड़ा है?' वह समझी कि किसी औरत की फोटू ले आया है।
दर्पण तो दर्पण है। तुम्हारी ही तस्वीर उसमें दिखाई पड़ती है। बुद्धत्व यानी दर्पण। तो बुद्ध जो करते हैं या उनसे जो होता है, ठीक से सोचना, वे करते नहीं, सिर्फ तुम्हारी तस्वीर झलकती है। इसलिए अलग-अलग मालूम होता है। अलग-अलग कुछ भी नहीं है; अलग-अलग हो नहीं सकता। लेकिन परिस्थिति अलग है। क्योंकि एक पात्र बदल गया। असली पात्र तो बदल गया। बुद्ध तो दर्पण मात्र हैं। कृत्य तो उस आदमी का है जो गाली दिया; जो जूता फेंका; जिसने अपमान किया। करने वाला तो वह है। ये बुद्ध तो न करने वाले हैं। तो इनसे तो जो प्रतिबिंब बनता है, वह बनता है। जो बन जाता है, बन जाता है। ____ अगर तुम इस तरह देखोगे तो तुम चकित हो जाओगे। तब तुम्हें एक बात और भी समझ में आ जायेगी, प्रसंगवशात उसे भी समझ लो।
कृष्ण ने कुछ कहा, अष्टावक्र कुछ कह रहे हैं, बुद्ध ने कुछ कहा, क्राइस्ट ने कुछ कहा-इसमें भी इन्होंने भिन्न-भिन्न बातें नहीं कही हैं। यह भिन्न-भिन्न शिष्यों के कारण ऐसा मालूम पड़ता है। अगर अर्जुन उपलब्ध होता अष्टावक्र को तो गीता ही पैदा होती; कुछ और पैदा नहीं हो सकता था। और अगर कृष्ण को जनक मिलता तो यह अष्टावक्र की महागीता पैदा होती, कुछ और पैदा नहीं हो सकता था। अगर जीसस भारत में बोलते, हिंदुओं से बोलते, तो बुद्ध जैसे बोलते; लेकिन यहूदियों से बोल रहे थे तो फर्क पड़ गया। दर्पण बदला। दर्पण बदला-अपने कारण नहीं। दर्पण बदला-जो उसके सामने पड़ा, उसके कारण। दर्पण के भीतर तो कोई चित्र है नहीं। कोई न हो तो दर्पण खाली हो जाये। ___ इसलिए अगर बुद्ध और जीसस, नानक और कबीर और मुहम्मद और जरथुस्त्र का मिलना हो जाये तो ऐसा ही होगा, वहां कुछ भी न होगा।
जैसे दर्पण के सामने दर्पण रख दो, क्या होगा? कुछ न बनेगा। दर्पण में दर्पण झलकता रहेगा। ये सब बैठे रहेंगे चुपचाप। ये एक-दूसरे में अपने को ही पायेंगे। यहां कुछ भेद ही न होगा। भेद पैदा होता है-शिष्य के कारण, सुनने वाले के कारण। क्योंकि असली वही है। बुद्ध तो खो गये। वे तो परम शून्य हो गये हैं।
रसो वै सः
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