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तुमने खयाल किया ? मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं कि 'बड़ी अशांति है, शांत कैसे हो जायें? कोई शांति का रास्ता बता दें।' वे कोई सस्ता रास्ता चाहते हैं। वे कुछ ऐसा रास्ता चाहते हैं कि जैसे वे हैं वैसे बने भी रहें और शांत हो जायें। धन के पीछे दौड़ रहे हैं तो दौड़ते रहें। सच तो यह है शायद शांत इसीलिए होना चाहते हैं ताकि धन के पीछे और ठीक से दौड़ सकें। रात नींद नहीं आती तो सुबह से दूकान में दौड़-धूप उतनी नहीं हो पाती जितनी हो सकती थी; विश्राम ही नहीं हो पाया तो श्रम कैसे हो ?
आदमी शांत भी होना चाहता है तो सिर्फ इसीलिए ताकि वह जो अशांति का व्यापार चला रहा है, व्यवसाय चला रहा है, उसको वह ठीक से चला सके।
अगर मैं उनसे कहता हूं कि शांत तो तुम तब तक न हो सकोगे जब तक तुम हो, तो वे कहते हैं कि फिर अपने वश के बाहर है ! शांति वे चाहते हैं किसी वस्तु की तरह उनमें जुड़ जाये। वे जैसे हैं, वैसे के वैसे रहें; शांति और आ जाये और उनमें जुड़ जाये। जैसे हम एक वस्तु खरीद लाते हैं बाजार से। नयी टेबिल खरीद लाये कि टेलिविजन खरीद लाये । पुराना मकान है, पुराना घर, पुरानी पत्नी, पुराने बच्चे, सब पुराना, हम पुराने, सब पुराना, एक टेलिविजन खरीद लाये, उसको भी उसी कमरे में रख दिया। लोग चाहते हैं ऐसी शांति आ जाये, कि ऐसा ज्ञान आ जाये।
नहीं, सब पुराना जायेगा तो ही शांति आ सकती है। शांति तो तुम्हारे चले जाने की अवस्था है। जहां से तुम तिरोहित हो गये। जब तक तुम हो, तुम उपद्रव करते ही रहोगे । उपद्रव तुम्हारा स्वभाव है । उपद्रव अहंकार का स्वभाव है । अहंकार रोग है।
तूष्णीभूतस्य योगिनः।
जिसने जान लिया कि एक ही है, वही शांत हो पाता है; वही उस परम विश्रांति को उपलब्ध होता है जहां कोई तनाव नहीं रह जाता।
तनाव क्या है? तनाव यह है ... तनाव को समझें। दूसरा दुश्मन है - यह तो तनाव पहला । दूसरा है, यह मान लेने से ही उपद्रव शुरू हो गया। तो फिर दूसरा छीन झपट करेगा, प्रतिस्पर्धा करेगा, संघर्ष करना होगा। दूसरा है तो युद्ध है और दूसरा है तो दुश्मनी है। दूसरा है तो तुम अकेले नहीं हो। तुम जिन वासनाओं के पीछे दौड़ रहे, दूसरे भी दौड़ रहे हैं । तुम्हीं थोड़े ही राष्ट्रपति होना चाहते हो, साठ करोड़ भारतवासी राष्ट्रपति होना चाहते हैं। पद एक है और साठ करोड़ उम्मीदवार हैं, तो हर एक आदमी के खिलाफ बाकी साठ करोड़ जो बचे हैं, वे इसके दुश्मन हैं। जहां दूसरा है वहां दुश्मनी है। और जब दूसरा है तो फिर अपनी आत्मरक्षा का उपाय भी करना होगा । तो भय है, घबड़ाहट है, करनी है। तुम सुरक्षा करते हो तो दूसरा भी डर जाता है।
तुमने देखा, पाकिस्तान खरीद ले अमरीका से हवाई जहाज कि हिंदुस्तान घबड़ाया कि बस शोरगुल मचा । तो खरीदो रूस से जल्दी या कुछ इंतजाम करो। इधर हिंदुस्तान ने खरीदा कि उधर पाकिस्तान घबराया कि अरे, और इंतजाम करो! कोई इसकी फिक्र ही नहीं करता कि जब तुम दूसरे से घबड़ा कर इंतजाम करने लगते हो तो दूसरा भी तुमसे घबरा कर इंतजाम करने लगता है। दुष्ट चक्र पैदा होता है।
मुल्ला नसरुद्दीन एक राह से गुजर रहा था । सांझ का वक्त था, धुंधलका था। और उसने एक
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अष्टावक्र: महागीता भाग-4