________________
__ मनोवैज्ञानिक कहते हैं, तुम्हारे जागरण पर तो भरोसा नहीं किया जा सकता है; तुम्हारी नींद में उतरना पड़ेगा। क्योंकि वहां तुम्हारा नियंत्रण शिथिल हो जाता है, वहां तुम्हारे दोहराये गए झूठों का प्रभाव कम हो जाता है। तो एक आदमी हो सकता है जागा हुआ तो साधु बन कर चलता है, जमीन पर आंख रखता है, स्त्री को आंख उठा कर नहीं देखता है; लेकिन इसके सपने में खोजो। सपने में हो सकता है यह नग्न स्त्रियों को देखता हो। सपने में साधु अक्सर स्त्रियों को देखते हैं। असाधु नहीं देखते। असाधु तो ऐसे ही बाहर इतना देख रहे हैं कि ऊब गये हैं। असाधु तो सपने में देखते हैं कि संन्यास ले लिया, भिक्षापात्र ले कर भजन-कीर्तन कर रहे हैं, कि मंजीरा पीट रहे हैं। असाधु ऐसा देखते हैं, क्योंकि असाधुओं की यही वासना अतृप्त पड़ी है।
जो अतृप्त वासना है, वही स्वप्न बनती है। स्वप्न भी तुम्हारा ही है। तुमने जो-जो दबा रखा है, वह सपने में उभर कर आ जाता है। सपने की भी बड़ी सचाई है। झूठा सपना भी एकदम झूठा नहीं है, क्योंकि तुम्हारे संबंध में कुछ संकेत देता है। ___अब हो सकता है कि तुम बाहर के जीवन में तुम बहुत सादगी से रहते हो, और सपने में सम्राट हो जाते हो। तो सपने पर जरा विचार करना। तुम्हारी सादगी धोखा है। तुम बाहर के जीवन में बड़े अहिंसक हो; पानी छान कर पीते हो; रात भोजन नहीं करते। मांसाहार नहीं करते और रात सपने में उठा कर किसी की गर्दन काट देते हो। तो सपने पर ध्यान रखना। वह सपना ज्यादा सच कह रहा है। वह कह रहा है : असलियत यह है; वह जो तुमने ऊपर से ओढ़ लिया है, वह बहुत काम का नहीं है।
स्वामी सरदार गुरुदयाल ने एक सपना मुझे कहा कि गुरुदयाल और स्वामी आनंद स्वभाव सपने में एक घने जंगल में भटक गये। बडे प्यासे हैं. भखे हैं। और बडे आनंदित हो गये। एक झोपडे पर तख्ती लगी है: अन्नपर्णा होटल। यहां जंगल में। जहां आदिवासी नंगे घम रहे हैं. यहां कहां की अन्नपर्णा होटल। और उसमें नीचे लिखा है: तरंत सेवा। भागे. भीतर घसे। एक नग्न आदिवासी स्त्री ने स्वागत किया। थोड़े चौंके भी कि यह किस प्रकार की होटल है। अमरीका में हैं होटलें जहां टॉपलेस वेट्रेस हैं। लेकिन यहां तो कपड़े ही नहीं हैं। ऊपर का कपड़ा ही नदारद नहीं, कपड़े ही नदारद हैं। ये नग्न हैं। कहा. दो कप चाय। तत्क्षण दो कप चाय प्रगट हो गयी।
स्वभाव ने एक घुट प्याली से लिया और कहा, दूध की कमी है। और उस स्त्री ने क्या किया, उसने अपने स्तन से दूध की धार लगा दी। और गुरुदयाल के मुंह से निकल गया ः वाह गुरुजी की फतह, वाह-गुरु जी का खालसा! और उसी में उसकी नींद टूट गयी।
वह जब मुझे सपना सुनाने आया तो मैंने कहाः और तो सब ठीक है, यह वाह गुरुजी की फतह, वाह गुरु जी का खालसा, यह तूने क्यों कहा? उसने कहा ः अब आप समझें। गुरु ने बचाया, क्योंकि अगर स्वभाव ने न मांगा होता दूध तो मैं गरम पानी मांगने जा रहा था।
मतलब समझे? गुरु ने बचाया! ___ तुम्हारे सपने तुम्हारे हैं। तुम्हारे सपने तुम्हारी सचाइयां हैं। वह जो तुम्हारे मन में सब सरकता रहता है, वह सपनों में रूप लेता है, आकृति ग्रहण करता है। अपने सपनों पर थोड़ा विचार करना। आध्यात्मिक साधक को अपने सपनों पर बहुत विचार करना चाहिए। तुम जागरण की डायरी न रखो तो चलेगा, सपने की डायरी बड़ी कीमती है। रोज सुबह उठ कर अपना सपना लिख लिये। चाहे
236
अष्टावक्र: महागीता भाग-4