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चौथा प्रश्नः आपने मुझे वीणा दी, मैंने बहुत कुछ बजाना भी चाहा-जैजैवंती, भैरवी, भैरव, मेघमल्हार, क्या-क्या नहीं! लेकिन शोरगुल के अतिरिक्त कुछ भी न हुआ। अब रखता हूं आपकी वीणा आपके ही चरणों में, न | स अब वीणा बजेगी। अब वीणा आप ही बजायें!
| बजेगी-बिना मेरे बजाये बजेगी।
तुम रखो भर। तुम समर्पण भर करो। तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाये। मेरे वर्ण-वर्ण विश्रृंखल चरण-चरण भरमाये गूंज-गूंज कर मिटने वाले मैंने गीत बनाये कूक हो गई हूक गगन की कोकिल के कंठों पर तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाये। दुख से जीवन बीता फिर भी शेष अभी कुछ रहता जीवन की अंतिम घडियों में भी तुमसे यह कहता सुख की एक सांस पर होता है अमरत्व निछावर
तुम छू दो, • मेरा प्राण अमर हो जाये।
तुम गा दो,
मेरा गान अमर दो जाये। तुम रखो बांसुरी प्रभु के चरणों में। तुम रख दो वीणा। तुम अपना कंठ भी उसे दे दो। . कूक हो गई हूक गगन की
कोकिल के कंठों पर तुम गा दो,
मेरा गान अमर हो जाये। तुम जब तक गाओगे, शोरगुल ही होगा, क्योंकि तुम शोरगुल ही हो। तुम्हारा हर प्रयास तनाव लायेगा। तुम्हारी यह धारणा ही कि मेरे किए कुछ हो सकता है, तुम्हारे जीवन की सबसे बड़ी दुविधा
प्रभु-मंदिर यह देह री
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