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जल्दी है ? सुन ले पहले, फिर तू अपना निर्णय कर लेना। लेकिन सुन तो ले। सुनने के पहले ही निर्णय कर लिया तो बहुत मुश्किल हो जायेगा। ___ मुल्ला नसरुद्दीन गांव का काजी हो गया था। पहला ही मुकदमा आया। उसने एक पक्ष को सुना
और उसने कहा कि बिलकुल ठीक है। क्लर्क ने कहा कि महानुभाव, यह तो अभी एक ही पक्ष है; अभी आप दूसरा तो सुनें। उसने कहा कि दूसरा सुनूंगा तो बड़ा डांवांडोल हो जायेगा चित्त। फिर निर्णय करना मुश्किल हो जायेगा। अभी आसानी है। अभी कर लेने दो। . उस क्लर्क ने कहा कि यह अन्याय हो जायेगा। आपको पता नहीं अदालत के नियम का।
तो उसने कहा, अच्छा ठीक है। दूसरे को सुन लिया। दूसरे से भी बोला कि बिलकुल ठीक है। उसके क्लर्क ने कहा कि आप होश में हैं? इतनी जल्दी न करें। दोनों ठीक कैसे हो सकते हैं?
उसने कहा कि भाई, तू भी बिलकुल ठीक है। इस झंझट में हमें पड़ना ही नहीं था।
आदमी जल्दी निर्णय करने में लगा है-जल्दी हो जाये! तुम ईसाई घर में पैदा हुए; हिंदू घर में पैदा हुए-तुमने एक ही पक्ष सुना है। इस संसार में तीन सौ धर्म हैं। और तुमने निर्णय कर लिया! तुम हिंदू बन गये। तुम जैन बन गये! और तुमने एक ही पक्ष सुना है। और यहां तीन सौ पक्ष थे। इतनी जल्दी! नहीं, घबड़ाये हुए हो तुम कि कहीं तीन सौ पक्ष सुन कर ऐसा न हो कि निर्णय करना मुश्किल हो जाये। जल्दी कर लो! __ छोटा बच्चा पैदा नहीं होता कि मां-बाप उस पर संस्कार डालने शुरू कर देते हैं। 'खतना करो।' अभी बच्चे की जान में जान नहीं, मुसलमान बनाने लगे, उसका खतना कर दो। शुरुआत की उन्होंने उपद्रव की। कि मुंडन-संस्कार कर दो, कि जनेऊ पहना दो। आ गया ब्राह्मण, पंडित, पुरोहितपूजा-पाठ, स
पाठ. सब शरू हो गया। अभी इस बच्चे को बोध भी नहीं है। अभी इसकी आंख भी ठीक से नहीं खली है। अभी इसे कछ पता भी नहीं है। मगर तम ढालने लगे। इसके पहले कि इसका बोध जगे, तुम इसको बना डालोगे। तुम इसको संस्कारित कर दोगे। तो इसका बोध कभी जगेगा ही नहीं।
इस दुनिया में इतना उपद्रव इसीलिये है कि यहां बोध नहीं है; बोध जगने का मौका नहीं है। मां-बाप बड़े उत्सुक हैं, बड़े जल्दी में हैं। सारे धर्मगुरु सिखाते रहते हैं कि धर्म की शिक्षा दो, धर्म की शिक्षा होनी चाहिए।
धर्म की कभी शिक्षा नहीं होनी चाहिए! ध्यान की शिक्षा होनी चाहिए, धर्म की नहीं। ध्यान सिखा दो। लोगों को शांत होना सिखा दो। लोगों को निर्विचार होना सिखा दो। फिर उनका निर्विचार उन्हें जहां ले जाये, वहीं उनका धर्म होगा। फिर उनका निर्विचार जहां ले जाये...। ___ और मैं तुमसे कहता हूं, निर्विचार कभी किसी को हिंदू नहीं बनायेगा और मुसलमान नहीं बनायेगा। निर्विचार व्यक्ति को धार्मिक बनायेगा। ___ दुनिया में धर्म हो सकता है, अगर बच्चों के मन हम पहले से ही विकृत न करें, जहर न डालें। लेकिन हम बड़ी जल्दी में होते हैं, हम बड़े घबड़ाये होते हैं कि इसके पहले कि कहीं कोई और बात मन में घुस जाये, अपनी बात घुसा दो। ___ इस जगत में जो बड़े से बड़े अनाचार हुए हैं मनुष्य-जाति पर, उनमें सबसे बड़ा अनाचार है बच्चों के ऊपर। अबोध, असहाय, तुम्हारे हाथ में पड़ गये हैं। तुम जो चाहो-खतना करो, चोटी रखवाओ,
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शून्य की वीणा : विराट के स्वर
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