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तुमने जीवन में कभी देखा, ऐसी किसी चीज की प्यास देखी, जो न हो? प्यास लगती है तो पानी है; प्यास के पहले पानी है। भूख लगती है तो भोजन है; भूख के पहले भोजन है। प्रेम उठता है तो प्रेयसी है, प्रेमी है; प्रेम के पहले मौजूद है। इस जगत में जो भी तुम्हारे भीतर है प्यास, उसको तृप्त करने का कहीं न कहीं उपाय हैं। अगर परमात्मा की प्यास है तो प्रमाण हो गया कि परमात्मा भी कहीं है। तुम्हारी प्यास प्रमाण है। तुम प्यास पर भरोसा करो। प्यास को 'हां' कहो। आस्था रखो। और प्यास में सब भांति अपने को डुबा दो—इस भांति, कि प्यास ही बचे और तुम न बचो। तुम गये नहीं कि परमात्मा आया नहीं। तुम्हारा जाना ही उसका आना है।
दान
तीसरा प्रश्नः मैंने अपनी माला पर तीस मिनट ध्यान कियो। मैंने आपके चित्र को देखा किया। कुछ देर में आपकी आंखें मेरी ओर उन्मुख हुईं और मैंने कहाः भगवान, समूह साधना मैं कैसे करूं जब कि मेरे पास रुपया | भ्रम ही है, यह उत्तर इतना सच है कि ही नहीं है? इस पर आपने उत्तर में कहाः ॥ भ्रम हो नहीं सकता। इस उत्तर की चिंता मत करो, तुम्हारा रुपया मैं दे दूंगा। तब सचाई को समझो। अगर यह सपना ही होता तो मैंने पूछाः यह भ्रम तो नहीं है? और आपने ऐसा उत्तर आने वाला नहीं था। यह तुम्हारे मन कहाः हां, भ्रम ही है।
से तो नहीं आया।
तुम्हारे मन की कामना तो स्वभावतः यही होती कि जो तुम देख रहे हो वह सच हो। सपना मधुर था; सपना मनचाहा था, मनचीता था। और क्या तुम चाह सकते थे? सपना तुम्हारी चाह का ही फैलाव था। तुम्हारी तो पूरी मर्जी यही होती है कि जो हो रहा है वह सच हो; मैंने सच में ही आंखें उठायी हों चित्र से, तुम्हारी तरफ देखा हो, और तुमने जो मांगा था, तुम्हें देने का वचन दिया हो; इससे अन्यथा तुम और क्या चाह सकते थे!
तो जो अंतिम उत्तर है वह तुम्हारी चाह से तो नहीं आया। तुम तो चौंक गये होओगे, जब वह उत्तर आया। जैसा अभी सुननेवाले हंस उठे। इनको भी भरोसा नहीं था कि ऐसा उत्तर आयेगा। उत्तर इतना सच है कि तुम्हारा तो नहीं हो सकता। मैं नहीं कहता कि मेरा है। इतना ही कहता हूं, तुम्हारा तो नहीं हो सकता। तुम जहां हो उस जगह से तो नहीं आया; उसके पार से आया है। तुम्हारी किसी गहराई से आया है जिससे तुम अपरिचित हो।
साक्षी, ताओ और तथाता
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