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प्रस्तावना mummmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm ___ इस तरह यह ग्रन्थका संक्षिप्त परिचय है; विशेष परिचय ग्रन्थकी विषय-सूचीसे प्राप्त किया जा सकता है।
ग्रन्थके विषयका विवेचन प्रस्तुत ग्रन्थका विषय उसके नामसे स्पष्ट है और वह है अध्यात्मका रहस्य । 'अध्यात्म' नाम आत्मा तथा परमात्माका, तचत्सम्वन्धीका और उस सम्बन्धका भी है जो प्रत्येक जीवात्माका शक्ति तथा व्यक्तिके रूपमें स्थित परमात्माके साथ सुघटित है । 'रहस्य' नाम गुह्य-गूढ तच अथवा मर्मका है। इस सबका फलितार्थ यह हुआ कि इस ग्रन्थमें आत्मा-परमात्मा और दोनोंके सम्बन्धका जो यथार्थ वस्तु-स्थितिका प्रकाशक गुप्त रहस्य अथवा मर्म है--जिसको साधारण जनता नहीं जानती और कितने ही मिथ्यादृष्टि-प्रधान विद्वान् भी जिसके विषयमें भ्रान्त चले जाते हैं-उसे संक्षेपमें प्रकट किया गया है । संक्षेपमें इसलिये कि ग्रन्थ अल्प-विस्तारवाला होनेसे सूत्ररूपमें ही उस के प्रकट करनेकी दृष्टिको लिये हुए है।
श्रीकुन्दकुन्दाचार्यने मोक्खपाहुढ(मोक्षप्राभूत) में और श्रीपूज्यपादाचार्यने समाधितन्त्रमें आत्माको तीन भेदोंमें विभक्त किया है-१ वहिरात्मा, २ अन्तरात्मा और ३ परमात्मा। ये तीन भेद आत्माकी किसी जातिके