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अध्यात्म-रहस्यकी विषय-सूची
विषय पृष्ट विषय
पृष्ठ मंगलाचरण
१] आत्म-ज्योतिका लक्षण ३४ भजमान-मव्योंको निजपद- लक्षण-भेदस स्वपर-भेदसिद्धि ३५ दानका रहस्य
| उपयोगका स्वरूप और भेद ३५ योग-पारगामी-योगी | आत्मशुद्धिका मार्ग स्वात्माका स्वरूप १० अशुद्धि-हेतु रागादिकके शुद्ध-स्वात्माका स्वरूप १२ विनाशका उपाय ३७ श्रुतिका लक्षण
१३ | राग,द्वेष और मोहका स्वरूप ३७ ध्येयका प्राप्तोपज्ञ विशेषण १४ राग-द्वेषरूप प्रवृत्तिका फल २६ धर्म्यच्यान-शुक्र-यानका स्वरूप १६ / कर्मजनित सुख-दुःखकी मतिका लक्षण
। कल्पना अविद्या है ४० ध्यातिका लक्षण १६ इन्द्रिय-विषय सुखरूप नहीं ४० राष्टिका लक्षण
श्रात्मा सच्चिदानन्दरूप है ४१ सवित्ति और दृष्टिका स्पष्टी० २१ आत्माके सत्स्वरूपका स्पष्टी० ४२ दृष्टिका माहाल्य
आस्मा जगत नहीं और न श्रुतसागरके मन्थनका उद्देश्य २३ जगत स्वात्मा ४४ सद्गुरुका स्वरूप २३ आत्माके चित्स्वरूपका स्पष्टी० ४४ मोक्षमार्ग और तदाराधना २५ द्रव्यकी उत्पादव्ययधोव्यात्मकता ४५ रत्नत्रयका स्वरूप (नि: व्य०) २६ प्रतिक्षण उत्पाद-ज्यय-ध्रौव्यका निश्चयरत्नत्रयकी स्पष्ट झांकी २७ । स्पष्टीकरण बुद्धिका लक्षण
२८ द्रव्य-गुणपर्यायके लक्षण तथा स्वसंवेदनके अतिरिक्त अन्यके।
___जीव-गुण त्यागका विधान २६ शेष द्रव्यांके गुण तथा अर्थभ्रान्त-अभ्रान्तका विवेक ३१ पर्यायका स्वरूप ४ आत्मज्योतिके दर्शनकी प्रेरणा ३६ | जीव पुद्गलकी व्यंजनपर्याय ४६ आत्म-दर्शनका उपाय ३२ जीव-पुद्गलके साथ दोनों आत्मज्योतिकी दृश्याश्यता ३३] पर्यायोंकी तन्मयता ५०
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