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(४१) टीकाकार महाराज कहे छे के-नास्तिको अात्मसत्ता मानता नथी. तेओ कहे छे के प्रत्यक्ष आदि प्रमाणोद्वारा
आत्मा घटी शकतो नथी. जे वस्तु होय ते चनु आदि इन्द्रियोबडे जरुर देखाय. आत्मा चतु इंद्रियथी देखातो नथी. परमाणुओ जो के साक्षात् देखाता नथी तो पण तेनुं कार्य घट पट विगेरे देखाय छे माटे ते छे एम मानवा जोइये; ज्यारे
आत्मानुं बनावेल कोइ पण कार्य देखातुं नी माटे आत्मा नथी. अनुमानथी पण आत्मा घटतो नथी. अनुमान प्रमाणमां लिंगज्ञान मुख्य साधनभूत छे. एटले जेम अमुक स्थानमां धूम दर्शन थतां त्यां अग्निनुं ज्ञान थयुं अने त्यारपछी कोइ स्थले दूरी धूमदर्शन थवाथी अहीं अग्नि अवश्य होवो जोइये कारण के ज्यां ज्यां धूम होय त्यां त्यां अग्नि निश्चयतया होय. रसोडामां तथाप्रकारना अनुभव प्रत्यक्ष देखाय छे. एटले अहीं पण अग्नि छे एवो निश्चय अनुमानथी थाय छे. एवं आत्माने अथवा तेना लिंगने कोइ स्थळे प्रत्यक्ष जोयेल नथी के जे परथी आत्मा छे एबुं अनुमान करी शकाय. ज्यां सुधी आत्माना कोइपण लिंगनुं प्रत्यक्ष दर्शन न थाय त्यां सुधी प्रात्माने सिद्ध करवा अनुमान प्रमाणनी गति थइ शके नहीं. एवं प्रात्मा जेवो अन्य पदार्थ अन्यत्र स्थानमा देखातो पण नथो, जेथी आ आत्मा छे तेना सरिखो आ पण पदार्थ छ माटे ते आत्मा कहेवाय, ए रीते उपमानप्रमाणथी पण आत्मानी प्रतिष्ठा थइ शकती नथी. फरी आगमवचनो अन्या