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(३७६) प्रतिष्ठा मानीए त्यारे बन्ने प्रतिष्ठामां भेद न होवाथी अलग शा माटे कही ? आनो उत्तर एटलो ज के व्यक्तिप्रतिष्ठामां केवल वर्तमान शासननायक सिवायनी प्रतिष्ठा न थाय ज्यारे क्षेत्रप्रतिष्ठामां शासननायक सिवाय कोइ पण तीर्थंकर अने चोवीश जिनेश्वरोनी मूर्ति पधरावी शकाय. परमार्थ ए के-अमुक व्यक्तिनी अपेक्षाए व्यक्तिप्रतिष्ठा अने भरत अथवा ऐरावत क्षेत्रनी अपेक्षाए क्षेत्रप्रतिष्ठा जाणवी. आ बे प्रतिष्ठानुं स्वरूप कह्या पछी ग्रंथकर्ता अर्धश्लोकथी "महाप्रतिष्ठा” नुं स्वरूप कहे छे. " महाप्रतिष्ठा"
महाविदेह, भरत अने ऐरावत आ सर्व क्षेत्रोना मली एक सो सित्तेर १७० तीर्थकरोनी मूर्तिओ पधराववी, आ प्रतिष्ठाने शास्त्रकर्ताओ चरम-महाप्रतिष्ठा एवं नाम अर्पे छे, अर्थात् आ त्रणे प्रतिष्ठाओनी जे जे संज्ञाओ छे तेवो ज तेनो गर्भिताशय छे. निदान एके-महाप्रतिष्ठामां सर्व क्षेत्रोना तीथकरोनी मूर्तिओ पधरावाय माटे महाप्रतिष्ठा. ____ए रीते त्रण प्रकारनी प्रतिष्ठा जणावी. आ त्रणे प्रकारनी प्रतिष्ठा सातमा षोडशकमां दर्शावेल उत्तम पवित्र आशय तथा वर्तनवान् भाविक ग्रहस्थे उत्तम कारीगर पासे विधिशुद्ध बनावेल जिनबिंबोनी ज थाय. पाठकोने आ वात फरी जणाववानी अमे जरुर देखता नथी, आटलो निर्देश कर्या पछी अहीं कोई शंका उपस्थित करे के