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" स्पष्टीकरण"
जे काइ शुभ कार्यों आरंभया तमां आगम-सिद्धान्त आनाने मुख्य करी वर्तन करवू परंतु आगमनिषिद्ध मार्गे जवू नहीं, तथा आगमना अभ्यासी महर्षि मुनियोनी सेवाभक्ति, पूजा, विनय, बहुमान आदि व्यापारो करवा; तेमज आगमना अभ्यास आदि क्रियामा प्रवृत्ति करवी, आगमवचनोनुं वारंवार स्मरण करवं. आ कार्यों करवाथी हृदयनी खरी पवित्रता थाय अने तेथी पवित्र श्राशयर्नु उत्थान थाय छे. परमार्थ ए के-पवित्र हृदयने प्राप्त करवा उपरोक्त विधिए वर्तन करवू. आ सिवाय अन्य मार्गे हृदयनी पवित्रता थाय नहीं. अतएव ग्रंथकर्ताए श्लोकना उत्तर भागमा 'खलु' ए पद प्राप्यु छ अर्थात् निश्चिततया आम वर्तवाथी आशय पवित्र थाय, तेमज आ प्रमाणे वर्तनारमा ज पवित्र आशय होय अने तेथी न्यथा वर्तनार उंची क्रियाअनुष्ठानो करे तदपि हीन श्राशयवालो के एम जाणवू. ____ा प्रमाणे आशय पवित्रता जणावी. एवा प्राशय विशेषपूर्वक ज जिनबिंब करावq शास्त्रोक्त विधि युक्त छ, ए वातनुं समर्थन करवा ग्रंथकार दर्शावे छे.
एवंविधन यद्विम्ब
कारणं तद्वदन्ति समयविदः ॥