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66 प्रस्ताव अने निर्देश "
स्पष्टीकरण - या कारिकानो भावार्थ जो के स्पष्ट ज छे तो पण कांइक विशिष्ट खुलासो करवानी आवश्यकता छे खरी. प्रकरणनो प्रारंभ करवा पूर्वे ग्रन्थकर्ता श्राचायश्री निर्देश करे छे केया प्रकरणमा सिद्धान्ततत्त्ववेतृ महापुरुषोए जे प्रमाणे उत्तम धर्मनी देशना आपवानो विधि अने तेना प्रकाशे बाल आदि जीवो माटे कह्यां छे तदनुसार अमे पण कथन करीशुं; कारण के पूर्व प्रकरणमा कही गया हता के " बाल आदिने योग्य हितोपदेश श्रापवाथी आचार्य तेभोने बोधि पमाडे छे. " एटले बाल आदि वर्गनुं स्वरूप जाणकार पण उपदेशविधि जो न जाणे तो ते तथाप्रकारनो fafa क्यांथी दर्शावी शके १
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संबंद्ध
निदान के उपदेशके या विधि अवश्य समजवो जोइए. अतएव पहेलुं प्रकरण बाल आदि वर्गनुं स्वरूप दर्शानारुं जणायुं एटले या बीजुं प्रकरण देशनाविधि स्वरूप दर्शावनारुं जणावीशुं. या रीते बीजा प्रकरणानो संबंध पहला प्रकरण साथै बराबर घटावी लेवो, कारण के-ग्रंथनो विषय योग्य रीते उत्तरोत्तर सुसंबद्ध होवाथी ज समुचित ग्राह्य अने पाठ्य थाय, जेथी पाठको पण उपदेशविधि समजी यथोचित रीते उपदेश करवा साथे बोधि पमाडी शके. ऋहीं आटलं.
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