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(२१४) कथननो भाव छे अथवा बाल, मध्यम, बुध ए त्रण धर्मना अधिकारी वर्गों शास्त्रकर्ताए कह्या छे. बालजीवो धर्म पाम्या पछी औदार्यता आदि सद्गुणोने प्राप्त करे छे अने मध्यम जनो औदार्यतादि गुणो पामवा साथे विषयतृष्णा आदि पापविकारोने दूर करे छे. अर्थात् मध्यम जनो बालजीवोनी अपेक्षाए धर्मनी उच्च भूमिकाए पहोंची गया होवाथी गुणनी श्रेणी पण तेयोने वधे ज छे, ज्यारे बालजीवो धर्म पाम्या पछी तेना प्रभावथी औदार्यता आदि गुणो पाम्या होय पण विषयतृष्णा आदिनो नाश न थयो होय एटले तेत्रो अद्यापि धर्मनी प्रथम भूमिकाए ज स्थिर छ; अने बुद्ध जनो बन्ने भूमिकाने पसार करीत्रीजी भूमिकाए पहोंची जाय छे माटे तेत्रो बन्नेनी अपेक्षाए विशिष्ट धर्मतत्त्व पाम्या होवाथी विशिष्ट धर्मतत्त्वना लिंग तरीके मैत्री आदि उच्चतर आभ्यासिक गुणो प्राप्त करे छे. निदान ए के-जेम जेम लाइन वधती जाय तेम तेम उत्तरोत्तर गुणनी स्थिति पण एक पछी एक उच्चतर बनती जाय छे. श्रा प्रकारे बाल, मध्यम अने बुध ए त्रण वर्ग संबंधी धर्मतत्त्वनो विषय-विभाग पाडवाथी प्रथम सामान्य गुणो, पछी विशिष्ट दोषाभाव अने त्यारपछी प्रकृष्ट गुणो ए प्रमाणे ग्रंथकर्ताए जे अनुक्रम दर्शाव्यो छे तेनुं तत्त्व यथार्थतया समजाशे. — मैत्री 'विगेरे चार गुणोनुं लक्षण हवे जणावे छे. परहितचिन्ता मैत्री
परदुःखविनाशिनी तथा करुणा।