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जिनबिंव बनावनार मनुष्य जरुर मदिरा प्रादिना व्यसन रहित होवो जोइए; कारण के व्यसनी मनुष्य पासे प्रतिमा कराववी शास्त्रको सर्वथा अनुचित जणावे छे. केवा कारीगर पासे जिनबिंब कराब, ते स्पष्ट करे छे. नार्पणमितरस्य तथा,
युक्त्या वक्तव्यमेव मूल्यमिति ॥ काले च दानमुचितं,
शुभभावेनैव विधिपूर्वम् ॥ ७-३॥ मूलार्थ-मय भादि व्यसनवाळाने भा कार्य सोपवू नहीं अने व्यसन रहित जनने पण युक्तिथी समजावी कहेवु के-'अमुक मून्य भापीशुं. ' या प्रमाणे कह्या पछी समय परत्वे पवित्र भावथी तथा विधिपूर्वक तेभोने उचित दान प्रापq " स्पष्टीकरण" ___ मदिरा, जुगार अने परस्त्री व्यसनी मनुष्य पासे श्रा प्रतिमा कराववी नहीं भने तेने पैसो पण आपको नहीं. हेतु ए के-व्यसनी माणस पासे एवं परम पवित्र अने एकान्त हितदायी कार्य कराववाथी लोकोमा निंदा थाय. करनारने सद्भाव होय नहीं भने बराबर कार्य करे नहीं तेमज उचित