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संसारी जीवों का स्वरूप]
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प्रक्रिया से वह टुकड़े अथवा प्रतरो का रूप धारण
करता है, उस स्थिति मे वह अजीव बनता है। ६: सीसा १० : ताँवा ११ : जस्ता १२: चाँदी १३ : सोना १४ : वज्र-हीरा । खदान मे होता है तब । १५ : हरताल१६ : हिंगलू- , १७ : मेनसिल१८ : सासक -एक प्रकार की घातु । १६ : अजन-सुरमा। २० : प्रवाल-मूगा। २१ : अभ्रक-खान से निकलता है। २२ : अभ्रवालुका-अभ्रक के मिश्रण वाली रेती।
इन वाईस प्रकार मे चौदह रतो को मिला देने से कुल छत्तीस प्रकार हो जाते हैं। चौदह रत्नो के नाम इस प्रकार समझने चाहिए :
२३ : गोमेदक। २४ : रुचक। २५ : अकरल