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[श्री महावीर-वचनामृत . अजयं भुज्जमाणो उ, पाणभूयाई हिंसइ ।
बंधइ पावयं कम्मं, तं से होइ कडुयं फलं ॥४१॥
असावधानी से भोजन करनेवाला मनुष्य त्रस-स्थावर जीवों की हिंसा करता है, जिससे कर्मबन्धन होता है और उसका फल कटु होता है।
अजयं भासमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ । बंधइ पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं ॥४२॥
[दश० भ० ४, गा० १ से ६] असावधानी से बोलनेवाला पुरुप त्रस-स्थावर जीवो को हिंसा करता है, जिससे कर्मवन्धन होता है और उसका फल कटु होता है ।