Book Title: Mahavira Vachanamruta
Author(s): Dhirajlal Shah, Rudradev Tripathi
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir
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ર૬૨
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जत्लत्यि मन्चुणा वक्त जति कुले समुप्पन्ने जल्लेवमप्पा उ हवेज जह कडुयतुवगरसो जह करगयस फाचो जह गोमत्त गयो जह जीवा वज्झति जह तत्णअगरतो जह तिगड्डयन्स य रसो जह परिणयवगरतो जह दूरस्त व फासो जह मिउलेवालित जह रागेण कडाण जह सुरहिकुनुमगयो जहा अग्गिरिहा दित्ता जहाऽऽएन समुदिन जहा इह अगणी उन्हो जहा इह इम सीप जहा कागिणीए हेड ज्हा विपागलाण जहा पुक्कुडपोग्न जहा कुन्ने तमगाइ
३८७ जहा जुन्नाइ कछाड १७० जहा दड्डाण बीयाण
८४ जहा दवनी परिधणे ३७६ जहा दुक्त भरेउ जे ३८१ नहा दुमत्त पुप्फेनु ३८० जहा पोम जले जाय
५७ जहा भुयाहि तरित ३७६ जहा महातलागत ३७६ जहा य अडप्पभवा ३७६ जहा य किपागफला म० ३८१ जहा य विन्ति वणिया ५८ जहा लाहा तहा लोहो ५८ जहा विरालावसहस्त ३८० जहा सगानकालम्नि
जहा सागडिओ जाण ३६५ जहा गुणी पुइकन्नी ४०६ जहा तूई मनुत्ता
जहा से तलु औरन्ने ३६८ जहालिनी जल्न ३०० जहिना पुञ्चनजोग १६० जहेह नीही मिग ३४४ ज किंवकम जागे
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