Book Title: Nar Vikram Charitram
Author(s): Shubhankarvijay
Publisher: Ajitkumar Nandlal Zaveri
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श्री नरविक्रमचरित्रे |
॥ ६ ॥
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अस्थि कुरुविमयतिलयभूया अदिट्ठपरचक्रमया, जणनिवहाणुगया जयंती नाम नयरी | पाले तं च ससहरसरिच्छपसरत कित्तिपन्भारो, निष्पडिमपयावकं तस सुपविश्य कम कमलो ॥ १ ॥ उत्तुंगतुश्य सिंधुरपक्कलपाइकचकबलकलिओ । सकोह सुरपुरिं परमविकमो राय नरसिंघ ॥ २ ॥ विसमच्छो इत्थलोलुओ य दुग्गाववद्वनिचरई । जस्स हरोऽवि न सरिसो तस्स समं कं जणं भणिमो १ ॥ ३॥ तस्स य नीसेस अंतेउर पहाणा वयणलायण्णावगणियपडिपुण्णचंद मंडला सललियवेल्लहल गइविजियरायहंसा कुम्मुण्णय कमलको मलपाडलचलणजुयला रायहाणिव मयरद्धय नरनाहस्स विसालसालब विमलसीलसालीणया महामोल्लभंडस्स मंजूसव सबरइसोक्खमणिखंड भंडारस्स चंपयमाला नाम भारिया अहेसि, जीसे भंगुरतणं तिरिच्छच्छिविच्छोहेसु न धम्मक मुच्छाहेसु
अस्ति कुरुविषयतिलकभूताऽदृष्टपरचक्रभया जननिवहानुगता जयन्तीनाम नगरी ।
॥ १ ॥
॥ २॥
पालयति तां च शशधरसदृशप्रसरत्कीर्तिप्राग्भारः । निष्प्रतिमप्रतापाऽऽकान्तशत्रुप्रणिपतितक्रम कमलः उत्तुङ्गतुरगसिन्धुरपक्क ं [ समर्थ ]पदातिचक्रत्रलकलितः । शक्र इव सुरपुरीं परमविक्रमो राजा नरसिंहः विषमाक्षः स्त्रीलोलुपश्च दुर्गात्रबद्धनित्यरतिः । यस्य हरोऽपि न सदृशस्तस्य समं कं जनं भणामः ? तस्य च निःशेषान्तःपुरप्रधाना वदनलावण्यावगणित प्रति पूर्णचन्द्र मण्डला सललित वेल्लहल [कोमल ] गतिविजित राजहंसा कूर्मोन्नत कमल कोमल पाटलचरणयुगला राजधानीव मकरध्वजनरनाथस्य विशालशालेव विमलशीलशालीनता महामूल्यभाण्डस्य मज्जूषेव सर्वरत्तिसौख्य मणिखण्ड भण्डारस्य चम्पकमाला नाम भार्याऽऽसीत्, यस्या भङ्गुरत्वं चिरश्चीनाक्षिविक्षोभेषु न धर्मकर्मोत्साहेषु,
॥ ३ ॥
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नरविक्रमचरित्रम् ॥
॥ ६ ॥

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