Book Title: Nar Vikram Charitram
Author(s): Shubhankarvijay
Publisher: Ajitkumar Nandlal Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नरविक्रमचरित्रे । महाभीषणश्मशानवर्णनम् ॥ ॥१८॥ सिवासहस्ससंकुलं मिलंतजोगिणीकुलं, प¥यभृयभीसणं कुसत्तसत्तनासण ।। पघुसावयं जलंततिवपावयं, भमंतडाइणीगणं पवित्तमंसमग्गणं ॥१॥ कहकहकहट्टहासोवलक्खगुरुरक्खलक्खदुपेच्छं । अइरुक्खरुक्खसंबद्धगिद्धपारद्धघोरखं ॥२॥ उत्तालतालमडुम्मिलंतवेयालविहियहलबोले । कीलावणं व विहिणा विणिम्मियं जमनरिंदस्स ३ ॥ तत्थ य निरूविओ सल्लक्खणभूभिभागो घोरसिवेण, खित्तं च बलिविहाणं कया खेत्तवालपडिवत्ती खणिया वेइया भरिया खाइरंगाराण मसाणसमुत्थाणं, भणिओ य राया-अहो सो एस अवसरो ता दहमप्पमत्तो ईसाणकोणे हत्थसयदेससंनिविट्ठो उत्तरसाहगत्तणं कुणमाणो चिट्ठसु, अणाहूओ य मा पयमवि चले जासित्ति पुणो पुणो निवारिय पेसिओ नरिंदो, गओ य शिवासहस्रसङ्कुल मिलद्योगिनीकुलं, प्रभूतभूतभीषणं कुसत्वसम्वनाशनम् ।। प्रधुष्टदुष्टश्वापदं ज्वलत्तीत्रपावकं, भ्रमडाकिनीगणं प्रवृत्तमांसमार्गणम् ॥१॥ कहकहकहाट्टहास्योपलक्ष्य-गुरुरक्षोलक्ष्यदुष्प्रेक्ष्यम् । अतिरुक्षवृक्षसंबद्धगृध्रप्रारब्धघोररवम् ॥२॥ उत्तालतालशब्दोन्मिलद्वेतालविहितकोलाहलम । क्रीडावनमिव विधिना विनिर्मितं यमनरेन्द्रस्य ॥३॥ तन्त्र च निरूपितः सल्लक्षणभूमिभागो घोरशिवन, क्षितं च बलिविधानं, कृता क्षेत्रपालप्रतिपत्तिः, खनिता वेदिका, भरिता खादिरागारैः स्मशानसमुत्थैः, भणितश्च राजा-अहो स एपोऽवसरः तस्माद् दृढमप्रमत्त, ईशानकोणे हस्तशतदेशसंनिविष्ट उत्तरसाधकत्वं कुर्वस्तिष्ट, अनाहूतश्च मा पदमपि चलेति पुनः पुनर्निवार्य प्रेषितो नरेन्द्रः, गतश्च एषः, घोरशिवेनापि आलिखितं मण्डलं, ॥१८॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150