Book Title: Nar Vikram Charitram
Author(s): Shubhankarvijay
Publisher: Ajitkumar Nandlal Zaveri

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Page 90
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री नरविक्रम चरित्रे । 11 GR II www.kobatirth.org निवेइओ तस्स नीसेसवहयरो, अब्भुवमओ कुमारेण ततो बीयदिवसे आढतो अक्खाडयपरिक्खेवो निबद्धा मंचा परमकोऊइलाउलिज माणमाणसो मिलिओ नयरजणो, ठिओ मंचमि संतेउरो नरवई, आरूढा य एकदेसंमि वेडी चकवाल परिवुडा पाणिपइडियल पप्फुल्लफुलमाला सीलम ( ब ) ई रायसुया, पडिक्खलिओ सवस्थ जणसंचारो, कओ अंगरक्खेहिं परिवखेवो, वज्जियं पलयकालगत पक्खु हियपुक्ख लावत पग जिरव गंभीरं चउद्दिहमाउजं, जाओ अवसरो, मंचाओ तओ कुमारो गादुप्पीडियनियंसियकडिल्लो दढबद्ध केसपासो पमुकाभरणसंभारो कुलथेरीकयरक्खो जलणुब्भडगुरुपयावदुप्पेक्खो संनिहियपाडिहेरोव भासुरो झत्ति अवयरिओ तहा कंठतडुब्भडपरिहियपयतलबिलुलंतविमलवणमालो । आबद्धमल्लबलओ गजंतो पलयमेव ॥ १ ॥ निवेदितस्तस्य निःशेषव्यतिकरः, अभ्युपगतः कुमारेण, ततो द्वितीयदिवसे आरब्धोऽक्षाटकपरिक्षेपो निबद्धा मञ्चाः परमकुतू हलाकुलायमानमानसो मिलितो नगरजनः स्थितो म सान्तःपुरो नरपतिः, आरूढा चैकदेशे चेटीचक्रवालपरिवृता पाणिप्रतिष्ठितलष्टप्रफुल्लपुष्पमाला शीलवती राजसुता, प्रतिस्खलितः सर्वत्र जनसञ्चारः, कृतोऽङ्गरक्षकैः परिक्षेपः, वर्जितं (वादितं) प्रलयकालगर्जत्प्रक्षुभितपुष्करावर्तप्रगर्जितरवगम्भीरं चतुर्विधाऽऽतोयं, जातोऽवसरः, मवात् ततः कुमारो गाढोत्पीडित परिहितकटिवस्त्रो (वान्) दृढबद्धकेशपाशः प्रमुक्काऽऽभरणसंभारः कुलस्थविराकृतरक्षो अलनोट गुरुप्रताप दुष्प्रेक्ष्यः सन्निहितप्रातिहार्य इव भासुरो झटिति अवतरितः, तथा - कण्ठतटोटपरिहित पदतलविलुठद्विमलवनमाल: । आबद्धमलवलयो गर्जन् प्रलयमेघ इव ॥ १ ॥ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मल्ल युद्धार्थ नरविक्रमस्या गमनम् ॥ | ।। ८२ ।।

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