Book Title: Nar Vikram Charitram
Author(s): Shubhankarvijay
Publisher: Ajitkumar Nandlal Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie नरसिंहनृपसत्त्वेन | पराजितघोरशिवस्य पश्चाचापः॥ इय जाव निवो संदेहदोलमालंबिउं विकप्पेइ । मा कुणसु संसयं ताव वारिओ गयणवाणीए ॥१॥ नरविक्रम घोरसिवोवि मत्तो इव मुच्छिओ इव दढदुषणताडिओ इव महापिसायनिफंदीकओ इव मुसियसारवक्वरो इव चरित्रे । ४ पियविरहमहागहगहिओ इव दुट्ठोसहपाणप्पणट्ठचित्तचेयणो इव खणंतरं चिट्ठिय सिसिरमारुएण समासासियसरीरो थोवो वलचेयणो मंदमंदमुम्मीलियलोयणजुयलो लज्जाबसविसंठुलसबंगोवंगो अइदीणवयणो दीहमुस्ससिय रायाणमवलोइडं पवचो, ॥२५॥ नरवडणावि दढसंजायकरुणभावेण अइदुक्खिओ एसोत्ति उवलक्खिय भणिओ घोरसिवो-भो किमवलोएसि ?, घोरसिवेण सगग्गयं भणिय-महाराय ! अवलोएमि नियकम्मपरिणइविलसियं, राइणा भणियं-किमेवं सविसायं जंपसि, सबहा धीरो भव परिहर दुरज्झवसायं परिचय कोबकंडं विमुंच विजयाभिलासं अणुसर पसमाभिरई पियसु करुणारसं परिचिंतेसु जुत्ताजुत्तं इति यावन्नृपः सन्देहदोलामालम्ब्य विकल्पयति । मा कुरु संशयं तावद्वारितो गगनवाण्या घोरशिवोऽपि मत्त इव मूछित इव दृढदुषणताडित इव महापिशाचनिष्पन्दीकृत इव मुषितसारावस्कर इव प्रियविरहमहाप्रहगृहीत इव दुष्टौषधपानप्रणष्टचित्तचेतन इव क्षणान्तरं स्थित्वा शिशिरमारुतेन समाश्वासितशरीरः स्तोकोपलब्धचेतनो मन्दमन्द| मुन्मीलितलोचनयुगलो लज्जावझविसंस्थूलसानोपानोऽतिदीनवदनो दीर्घमुच्छस्य राजानमवलोकयितुं प्रवृत्तः, नरपतिनाऽपि दृढसंजातकरुणभावेन अतिदुखित एष इति उपलक्ष्य भणितो घोरशिव:-भो किमवलोकयसि ?, घोरशिवेन सगद्दं भणितं-महाराज ! अवलोकयामि निजकर्मपरिणति विलसितं, राज्ञा भणितं-किमेवं सविषादं जल्पसि ? सर्वथा धीरो भव, परिहर दुरध्यवसायं, परित्यज कोपकण्डूं, विमुख विजयाभिलाषम् , अनुसर प्रशमाभिरति, पिब करुणारसं, परिचिन्तय युक्तायुक्त, SAMAC-%EGOROCCAS KARAKRICART S ॥२५॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150