Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
View full book text
________________
(५) गजमोक्ष । आदि
अथ गज मोख लिख्यते। सुनत सुनावत परम सुख, दूरि होत सब दोष । कृष्ण कथा मंगल करण, मुणो सु अब गज मोख ॥ १ ॥
शिव सनकादिक सेसही, पायौ गुणां न पार । तोई गुण हरि का गाइये, आपा मति अनुसार ॥ मैं वरण्यौ गजमोल यह थापा मति सविचारि ।
जहाँ घटि वधि वर्णन कियौ, तहां कवि लेहु सुधारि ॥ लम्बनकाल १८ वीं शताब्दी
प्रति-पत्र २, पंक्ति २६, अक्षर ६५ साईज : विशेष:-कत्ता का नाम एवं पद्य संख्या लिखी हुई नहीं है। पद्य भुजंगी प्रयात भी प्रयुक्त है।
[स्थान-अभय जैन ग्रन्थालय ] ( ६ ) गीता महात्म्य भाषा टीका । रचयिता आनंदराम नाजर। (आनंद विलाम ) रचना सम्बन १७६१ मि. व० १३ मो० श्रादिअथ गीता माहात्म्य आनंदराम कृत लिख्यते
मुकटि लटकि कटिकी लचकि, लसत हियै बनमाल । पीत बसन मुरलीधरन, विपति हरन गोपाल || नमि करिकै गिरधरन के, चरण कमल सुखधाम | गीता महातम करत, भाषा आनन्द राम ॥ मनमोहन मनमें वस्यौ, तब उपज्यौ चितचाई । गीता महातम करौं, माषा सरस बनाई ॥ कमध (ज) वंस अवतंस मनि, सफल भूप कुलरूप । राज करत विक्रम नगर,, अवनी इन्द्र अनूप ॥ तिहा पाप्यौ परधान थिर, नाजर आनंदराम । गीता महातम करत, उर घर गिरधर नाम ॥ ५ ॥