Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith

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Page 288
________________ ( २५ ) सं० १७६४ भगवान * * * पृ० ५० अशुद्ध १८४ ५ २०४६ १८४ १० भागवान १८४ १६ कनम ठार से रवि वन्व १८६ १६ भावै १८६ २६ सुभइ १८७१ छवि सली वर्ण वृत्ति समासा १३ ऋषि "जगता ५८७ ५८ जुवान राइ बानीकरना को नु १८७ जुगनराह छद्रों * * * १८७ कनक ठारे से वरण भन्दै सुभाई छविमली वर्ण वृत्ति समाता ऋषि स्व शिष्य जगता जुगतराइ वानी करता कर्या जु जुगतराइ छंदो २८ १८८ १३ १५८ १५ १८८ २० १८६८ हिम्मखान लैबल जिय बोलत, तिनकी तीय पदे बादो थौहार हिम्मतम्बान ले ले जीय बोलत तिनकी तीय ॥१३ ।। भेद बाटो व्यौहार १८६ मन गन ११ १८६ १२६ २८६ १८६ मुतकारिब काफिर ठारीब भरोचक, १२ १३ मुतदारिक वाफिर गरीब अरोक :15.

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