Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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१४
२०
अशुद्ध जिमें सं० १६७१ संवत्
जिते सं० १६७१ भा० ब० १, बुधवार
१५
सेवत
पदन्ह
kkkkx..
घदन्ह रहरि
पचन्ह घटन्ह रह
मैसे
१५
६
पैसे तिल
तिस तेनुयो ये हिते दिन करि हरसारी घाड़ों
तेलुयो येहिते क्निवहि रसारी घाड केती, केता
५६
केनी, केना
सुग्य
१६
२२
बसे
.....
मुख
सुरनर
वसे ।२८१ डीकरा
डोकरा छोरु छकिरा
छोकरी छोकरा वामे त्सनार
नामे तस नार दूमर, परत
ईसर, वात (ख) राम काव्य साहिब सिंध
साहिबर्मिघ होत
होत धाउ, धावल
ध्याऊ, ध्यावत जोता मैं
जो तामें पीड़ सोचत रमणि
पीउ सोवत रयणि
१६ १८,०६
२०
२०
२२
२२ २३
कांजिकाहे हइविल विरार
काहे काजि हा विख
विगारद