Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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प्रति-गुटकाकार | प्र०८शा, पत्र र से८०, ५०६, अ० १९, लेखनकाल १८ वीं शताब्दी
विशेष-इसमें बाल लीला पद्य ४४ कल्याण, जन्म लीला पद्य ६०, सूर श्याम लीला पद्य ५३ कल्याण, सुदामा चरित पद्य ५६, कवलानंद गुरुचरित्र गा० ३७, कल्याण पद्य १, अन्त में नरहरि नाम आदि है।
[ स्थान-अनूप संस्कृत पुस्तकालय, बीकानेर ] (२) रामचरित्र-रचयिता रामाधीन
पादि
अथ श्री रामचरित्र लिख्यतेरघुकुल प्रगटै रघुवीरा ।
देस देस तै टीकौ श्रायौ, स्तन कनक मणि हीरा । घर घर मंगल होत बधाये, अति पुरवासिनु भीरा ।
आनंद मगन मये सब डोलत. कछुवन सुधी सरीरा । हाटक बहु लल लुटायेगो, गयंद हये चीरा ।
देत असीस सर चिर जीवहु, रामचंद रणधीरा । पद्य ५० के बाद अपूर्ण-पत्र २७, पं० १४, १० १५, साइज शाxlll
[स्थान-अनूप संस्कृत पुस्तकालय ] ( ३ ) राम विलास- रचयिता-मु० साहिब सिंध । रचना-संवत् १८८ बै० सु० ३। मरोठ पादि
वाग वणेहि श्रत ही अधिक, अवधपुरी के बेन । कमलनैन क्रीडा करे, सीता को सुख देन ॥
अठार से श्रोतरे, सुदि तृतीया वैसाख ।
रामविलासमरोठ मधि, मलौ रथ्यौ सुध भाख ॥ इति राम विलास मुहता साहिब सिंध कृत: संपूर्ण । प्रति-पत्र २, पद्य ३३,
[स्थान-वृहद्झान भाण्डार]