Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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(ख) राम-काव्य (१) अंगद पर्व-रचयिता-लालदास ।
अंगद प्रचलिख्यतेपादि
पतित उधारण गमु है, रघुनाथ बली । प्रथम वंदि गुरुचरण, पिता उधो सिर नाऊँ । साधु कृपा जो होई, राम पाणंद गुण गाऊँ । रावण रामु पावन कथा, मनोहु चितु समुभाइ ॥१॥
अंगद पचन रामजी के चरित है मुणि पाणंद उर न समाहि । जामुवंत सुग्रीव हनू, अंगद अधिकारी ! पक्ष अठारह जुरे तहाँ, कपि दल भयो भारी ॥ २ ॥
पन्त
करहु बड़ाई रामकी, मेरे धागे बायि ।
निग विसाल धनु धरै, करहि पीतांबर बाथै । तू प्रचंड के डंड तहाँ छ असुर सुर साथै ॥३१॥ जो निसपति अति राजई, सूरिज ज्योति प्रगास ।
श्री रामचन्द्र उदार राय पर पलि बलि लालादास । श्री श्री रामचन्द्र चरितु अंगद प्रव समाप्त।