Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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जेह नगर थी पूरब दिसे सामंतसी एक पारयो बसे । तेहना माय बाप डीकरा नाना बालक छोर पकिरा । सतवंती वामे लसनार माणस पाठ तणो परिवार (२६॥ नीत उठी बाहेडो करे इणि परे पेट घणो दुख भरे । केता एकदिवस इणी परे गया, दूसर दिवस परत पालीया ।३. तेरस दिवस फागण सोमवार, वीस दिवस फागण सोमवार । बीस दिवस चोदस अंधार...
इस संजोग लहे नरनार, तेह ना गुण तो अंत न पार ।३१। प्रति-गुटका-पत्र ३०, पय ४४५ के बाद अपूर्ण पं० १२, १० २५,
[ स्थान-मोतीचंद खजानची संग्रह ]