Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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( ४ ) नरसिंह ग्रन्थावली । रचयिता-नरसिंह ।
आदि
सरीर सरबंग नाटक । गुरु दादू वंदो प्रथमि, नमस्कार निरकार । रचना श्रादि अनादि को, विधिसों कहौं विचार ॥ १ ॥ दादु गुरु प्रसाद सब, जो कुछ कहिये मान । बीज भ्रम विस्तार जगू, सो अब करों बखान ॥ २ ॥ बुधि समानसों कहतु हों, या तनके जो अंग । दादू गुरु प्रसाद ते, रची सरीर सर्वग ।
जन्म मरण ऐसे मिटे, पावे पूरण अंग ।
नरसिंह मन वच कर्म करि, मुने सरीर सर्वग ॥१३॥१५७।। इति श्रीनरसिंहदासेन कृतं सरीर सर्वग नाटक संपूर्णम् ।
केवल ब्राह्मण लिखितम् प्रति- पुस्तकाकार । पत्र २५ । पंक्ति १२ । अक्षर १० । प्राकार ४४६ । विशेष- इम प्रति में नरसिंहद्वारस के बनाए हुए अन्य निम्नोक्त ग्रंथ हैं( १ ) चतुर्समाधि
पत्र २६ से ३२ तक ( ३ ) (ना) मन्निणय
३७ तक (४) सप्तवार
३८ तक (५) विरहिणी विलाप
४१ तक (६) बारहमासाजी, ब्रह्म विल स
४५ तक (७) त्रिकाल संध्या
४३ तक (८) साखी स्पुष्ट ग्रन्थ
७२ तक (E) अतीय अवस्था अंग
१०७ तक (१०) मांझ, त्रोटक, कुंडलिया, कवित्त २२७ तक हन्दव छन्द, अज्ञानता को अंग, विश्नपद, विविधरागिनियों के पद ।
[स्थान- अभय जैन ग्रन्थालय]